युद्धविराम के बाद गाजा में खुले बैंक। (रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गाजा में खंडहरों के बीच फिर के जीवन बसाने की कोशिश कर रहे फलस्तीनी लोगों को लिए जीवन बहुत मुश्किल हो गया है। वहां पर लोग भोजन, साफ पानी, दवाईयां और नकदी के किल्लत से जूझ रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रविवार को दो बैंक शाखाएं फिर से खुलीं, जिससे ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ी। पर लोग जल्द ही निराश हो गए। दक्षिणी गाजा के खान यूनिस में 38 साल के अहमद अबू फाउल ने कहा, “बैंक ऑफ फलस्तीन आज फिर से खुल गया, इसलिए मैं तुरंत देर अल-बलाह शाखा गया।“
बैंक खुले लेकिन नहीं मिला कैश
उन्होंने कहा, “मैं अपनी तनख्वाह निकालने की उम्मीद से गया था, जो मुझे लंबे समय से नहीं मिल पाई थी, लेकिन पैसे ही नहीं थे।“
अबू फाउल, जिन्हें लड़ाई के कारण उत्तरी गाजा में अपने घर से निकाल दिया गया था, अपने क्रेडिट कार्ड को नया तो करवा पाए, लेकिन पैसा नहीं मिल पाया।
हम बाजारों में खरीदारी नहीं कर पा रहे- सिर अबू शबाक
सिर अबू शबाक ने कहा कि हमें क्या करना चाहिए? हम बाजारों में खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं और अपने खाते भी नहीं खोल पा रहे हैं। हम कैसे खाएंगे और कैसे जीएंगे?“
युद्धविराम समझौता टूटने का बाद से नकदी की किल्लत
दो साल पहले, जब हमास ने इजरायल पर सीमा पार हमला किया और एक जवाबी हमले को जन्म दिया, तो गाजावासियों के पास नकदी खत्म होने लगी। जहां बैंक खुले रह सकते थे, वहां बैंक खुले रहे, लेकिन मार्च में जब युद्धविराम समझौता टूट गया, तो उन्होंने हार मान ली।
मौजूदा इजरायली नोट छोटे पैमाने के व्यापार के एक बंद सर्किट में फंस गए, और कुछ महीनों में, कुछ इतने फटे हुए हो गए कि उनका उपयोग नहीं किया जा सकता।
पिछले हफ्ते, वॉशिंगटन के दबाव में इजराइल और हमास ने युद्धविराम पर सहमति जताई और रविवार को बैंक ऑफ फलस्तीन की दो शाखाएं फिर से खुल गईं।
(समाचार एजेंसी एएफपी के इनपुट के साथ)
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