कफ सीरप कांड मालिक ही था केमिस्ट एसआईटी का खुलासा (फाइल फोटो)  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में 24 बच्चों की जान लेने वाले कोल्डि्रफ कफ सीरप मामले की जांच में रोज नए पर्दाफाश हो रहे हैं। एसआइटी की जांच में यह सामने आया है कि कोल्डि्रफ बनाने वाली कांचीपुरम (तमिलनाडु) की श्रीसन फार्मा कंपनी का मालिक जी. रंगनाथन स्वयं प्रोडक्शन केमिस्ट की जिम्मेदारी संभालता था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
दवा के हर बैच की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रंगनाथन और केमिकल एनालिस्ट के. माहेश्वरी पर थी। इसके बावजूद, कोल्डि्रफ में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकाल (डीईजी) पाया गया। रंगनाथन ने कोर्ट और पुलिस पूछताछ में कहा है कि उसने काम बांट रखा था, इसलिए गड़बड़ी का पता नहीं चला।  
फार्मा में कई गंभीर खामियां आई सामने  
 
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के अनुसार, ड्रग लाइसेंस प्रोडक्शन केमिस्ट और केमिकल एनालिस्ट के नाम पर ही मिलता है, जिससे रंगनाथन की जिम्मेदारी स्पष्ट होती है। जांच में श्रीसन फार्मा में कई गंभीर खामियां भी सामने आई हैं। परिसर में सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि क्या जानबूझकर गड़बड़ी की गई।  
 
कच्चे माल की खरीद के लिए दिए गए आर्डर और आपूर्ति के बिल भी उपलब्ध नहीं हैं। सभी जानकारी साधारण रजिस्टर में दर्ज की जाती थी, जिससे एसआइटी के लिए गड़बड़ी का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। रंगनाथन ने एसआइटी को बताया कि उसने मेडिसिन ग्रेड का प्रोपेलीन ग्लाइकाल खरीदा था, लेकिन इस संबंध में कोई क्रय आदेश प्रस्तुत नहीं कर सका। उधर, एसआइटी ने किसी कर्मचारी द्वारा विषाक्त पदार्थ मिलाने की आशंका के एंगिल से भी जांच शुरू की है। ऐसा करने वाले कर्मचारी की भी तलाश की जा रही है।  
रंगनाथन और माहेश्वरी से आमने-सामने की गई पूछताछ  
 
सूत्रों के अनुसार रंगनाथन और के. माहेश्वरी के बयान में कुछ बातों पर विरोधाभास था, इस कारण दोनों को आमने-सामने बैठाकर भी पूछताछ की गई है। के. माहेश्वरी को तीन दिन का रिमांड पूरा होने पर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। वह लगभग चार वर्ष से कंपनी में काम कर रही थी। रंगनाथन का पुलिस रिमांड 20 अक्टूबर को पूरा होगा। |