वर्चस्व के साथ बदले की जंग में हुई थी पूर्व ब्लॉक प्रमुख भूरा की हत्या।- सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। राजनीति में चमक रहे पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा की हत्या वर्चस्व और बदले की जंग में हुई थी। वर्ष 2013 में उनके रिश्ते के भांजे रिंकू की हत्या हुई तो उसमें पूर्व ब्लॉक प्रमुख समेत तीन को आरोपित बनाया गया। भाई की हत्या का बदला लेने के लिए सुमित चौधरी ने साथियों संग मिलकर 23 फरवरी 2015 को हत्या कर दी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
गोली मारने से पहले आरोपित ने पूर्व ब्लॉक के पैर छुए थे और उसके बाद हत्या कर दी थी। उसी समय सुमित अपने रिश्तेदार पंकज के साथ पकड़ा गया था। यह 2018 में बदायूं जेल से फरार हो गया था। तभी से इसकी तलाश चल रही थी। फरारी के दौरान कोर्ट ने इसकी फाइल को अलग कर अन्य हत्यारोपित पंकज, रामवीर, नेमपाल और निपेंद्र के मामले में सुनवाई जारी रखी। चारों आरोपितों के खिलाफ गवाही हो गई और कोर्ट में केस अंतिम दौर में है।
हिमायूंपुर निवासी पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा ने राजनीति में वर्ष 2000 में कदम रखा। वह डिलारी ब्लॉक के प्रमुख बने। दोबारा वर्ष 2006 में फिर से ब्लॉक प्रमुख बने। इस दौरान उनका वर्चस्व बढ़ना शुरू हो गया। पूर्व ब्लॉक प्रमुख के रिश्ते का भांजा बिलारी क्षेत्र नवैनी गद्दी रिंकू चौधरी भी साथ रहने लगा। इसी बीच वर्ष 2013 में रिंकू चौधरी की सिविल लाइंस क्षेत्र में हत्या कर दी गई। इस हत्या में योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा, सुशील चौधरी, इनके भाई संजीव चौधरी और रिजवान प्रधान को आरोपित बनाया गया।
विवेचना में सुशील चौधरी का नाम पुलिस ने निकाल दिया, लेकिन पूर्व ब्लॉक प्रमुख, संजीव चौधरी और रिजवान को पुलिस ने जेल भेजा था, लेकिन यहां से बदले की जंग शुरू हो गई। रिंकू चौधरी के भाई सुमित चौधरी ने भाई की हत्या का बदला लेने का मन बना लिया। पूर्व ब्लॉक की हत्या करने की उसने हर संभव प्रयास शुरू कर दिए। 23 फरवरी 2015 को कचहरी में रिंकू हत्याकांड के मामले में जेल से पुलिस कस्टडी में पेशी पर कोर्ट लाया गया था। उसी दौरान सुमित साथियों संग पहुंच गया था। सुमित ने पूर्व ब्लॉक प्रमुख के पैर छुए और उसके बाद पिस्टल से कई गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। हालांकि पुलिस कर्मियों ने मौके पर ही सुमित और उसके ममेरे भाई पंकज को गिरफ्तार कर लिया था।
इस मामले में पुलिस ने सुमित, पंकज के अलावा सुमित के पिता रामवीर, मामा नेमपाल और बहनोई निपेंद्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन विवेचना के दौरान निपेंद्र का नाम निकाल दिया था। उधर सुमित को मुरादाबाद से बदायूं जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। 12 मई 2018 की रात कुख्यात अपराधी चंदन की मदद से सुमित जेल की दीवार फांदकर फरार हो गया था। उस पर दो लाख का इनाम घोषित किया गया है। पुलिस के अलावा एसटीएफ भी उसे तलाश कर रही थी। सुमित पुलिस के हत्थे नहीं लग रहा था। ऐसे में कोर्ट ने सुमित की फाइल को अलग करके पंकज, रामवीर और नेमपाल के मामले में सुनवाई शुरू कर दी थी। अब आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में गवाही पूरी हो गई है। केस अंतिम दौर में है।
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वर्ष 2023 में कोर्ट की अवमानना की प्राथमिकी हुई थी दर्ज
वर्ष 2018 के बाद से लगातार सुमित फरार चल रहा था। उसके खिलाफ कोर्ट से वारंट भी जारी हुए, लेकिन वह पेश नहीं हुआ। सुमित की फरारी के कारण उसके खिलाफ मुरादाबाद कोर्ट में चल रहे केसों की सुनवाई भी बाधित हो रही है। सिविल लाइंस थाने में कैंप चौकी प्रभारी रहे मोहम्मद तालिब ने बिलारी के नवेली गद्दी निवासी सुमित के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज कराया था।
पंकज जेल में, दो आरोपित बाहर
पूर्व ब्लॉक प्रमुख की हत्या में पुलिस ने सुमित, पंकज, रामवीर और नेमपाल को आरोपित बनाया था। रामवीर और नेमपाल को कोर्ट ने जमानत दे दी थी। जबकि पंकज अब भी मुरादाबाद जेल में है। इस हत्याकांड के पंकज के अलावा सुमित भी जेल पहुंच गया है।
पूर्व ब्लॉक की बेटी बनी सीओ, बेटा इंजीनियर
पूर्व ब्लॉक प्रमुख आयुषी सिंह ने पिता की मृत्यु के बाद हिम्मत नहीं हारी थी और पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की है। इसके बाद वह सीओ बन गई। आयुषी बताती है कि पिता की हत्या के समय ही मन में अधिकारी बनने का जो सपना अपनी आंखों में पाला था।
सात साल तक परिवार से भी नहीं किया संपर्क
बदायूं जेल से फरार होने के बाद सुमित ने परिवार से भी संपर्क नहीं किया था। कई बार पुलिस उसके घर पहुंची थी। हर समय परिवार के नंबरों को सर्विलांस पर लगाकर रखा गया, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल रहा था। क्षेत्र में चर्चा थी कि आरोपित नेपाल भाग गया है। कुछ न तो उसकी मृत्यु होने की बात भी कहनी शुरू कर दी थी। तमाम पुलिस कर्मियों ने इसकी तलाश के प्रयास किए, लेकिन हर प्रयास असफल ही हुए।
ललित कौशिक से भी जोड़ा गया था सुमित का नाम
जेल में बंद पूर्व ब्लॉक प्रमुख ललित कौशिक से भी सुमित का नाम जोड़ा गया था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ललित कौशिक का सुमित चौधरी खास शूटर था। पूर्व ब्लॉक प्रमुख की हत्या से पहले ही यह ललित कौशिक के लिए काम करता था। कई बार ललित कौशिक से भी पुलिस ने इसके बारे में पूछताछ की थी।
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