न पैसा मिलता न सामग्री, कागज पर हो रही सफाई। फोटो जागरण
संवाद सूत्र, नवहट्टा (सहरसा)। प्रखंड के प्राथमिक मध्य व माध्यमिक विद्यालय में हाउस कीपिंग एजेंसी के माध्यम से साफ-सफाई भगवान भरोसे है। शिक्षा विभाग द्वारा तय की गई एजेंसी स्वच्छता कर्मियों को वेतन नहीं देती है।
फिनायल , हार्पिक, झाड़ू, पौंछा, ब्रश, बाल्टी, मग जैसी आवश्यक सामग्री भी देना आवश्यक नहीं समझती है, जबकि सरकार ने शौचालय शीट के आधार पर पारिश्रमिक कर्मी का निश्चित किया है।
प्राथमिक व मध्य विद्यालय में प्रति शौचालय सीट के लिए प्रतिदिन 50 रुपया एवं माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रति शौचालय सीट के लिए 100 रुपया निर्धारित है।
सरकार ने जहां कर्मियों का ध्यान रखते हुए प्राथमिक विद्यालय वर्ग 1-5 में न्यूनतम दो यूनिट, मध्य विद्यालय वर्ग 6-8 में न्यूनतम तीन यूनिट, प्रारंभिक विद्यालय वर्ग 1-8 में न्यूनतम चार यूनिट तथा माध्यमिक/उच्चतर माध्यमिक विद्यालय वर्ग 9-12 में न्यूनतम आठ यूनिट की दर से पारिश्रमिक तय करने का निर्देश दिया है।muzaffarpur-general,Industry Department,Muzaffarpur News,Swadeshi Products,Atmanirbhar Bharat,Local for Vocal,Make in India,Muzaffarpur Industry Department,Regional Economy,Bihar news विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी आधार पर एजेंसी को भुगतान भी किया जाता है। विभाग के उच्चाधिकारी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को टॉयलेट शीट की संख्या तय करते समय विद्यालय के आधारभूत संरचना वर्ग कक्ष, बेंच डेस्क, टेबुल-कुर्सी, विद्यालय परिसर एवं मैदान की साफ-सफाई को ध्यान में रखते हुए व्यवहारिक रूप से पारिश्रमिक का निर्धारण करने की नसीहत दी।
इससे हाउसकीपिंग एजेंसी के सफाई कर्मी को आर्थिक नुकसान कम से कम हो और उसे एक व्यवहारिक पारिश्रमिक मिल सके, लेकिन इसका लाभ एजेंसी उठाती है। कहीं साल भर से कहीं छह महीने से पारिश्रमिक नहीं मिला है।
आदर्श मध्य विद्यालय नवहट्टा के प्रधानाध्यापक निर्भय कुमार सिंह बताते हैं कि वे अपने व विद्यालय कोष की राशि व्यय कर साफ सफाई करवाते हैं। मध्य विद्यालय जौड़ी के प्रधानाध्यापक सुरेश पंडित ने बताया कि दो माह से सफाई नहीं हो रही है।
शौचालय व फरिसर में गंदगी पसरा है। उर्दू मध्य विद्यालय दीवरा एवं उत्क्रमित मध्य विद्यालय नवहट्टा के सफाई कर्मी नितीन को एक साल से पैसा नहीं मिला है। यही हालत लगभग सभी विद्यालयों का है। |