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कार्तिक माह में रोजाना करें ये आरती, प्रभु श्रीहरि के साथ मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा

cy520520 2025-10-15 22:37:49 views 867

  

Kartik month 2025 Tulsi puja for lord vishnu blessings



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक माह (Kartik month 2025) में भगवान विष्णु की आराधना से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस माह को भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी और तुलसी जी की पूजा के लिए भी खास माना गया है। ऐसे में शुभ परिणाम के लिए रोजाना तुलसी पूजन के दौरान तुलसी जी की आरती भी जरूर करनी चाहिए। चलिए पढ़ते हैं तुलसी माता की आरती। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
तुलसी माता की आरती (Tulsi ji Ki Aarti)

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

धन तुलसी पूरण तप कीनो,

शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥

  

(Picture Credit: Freepik)  

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥

तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।

कार्तिक माह में रोजाना शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक भी जरूर जलाना चाहिए। साथ ही तुलसी की 7 या 11 बार परिक्रमा भी जरूर करनी चाहिए। तुलसी जी की आरती के साथ-साथ आप तुलसी जी के मंत्रों का जप करके भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी और रविवार के दिन तुलसी में जल अर्पित करने से बचना चाहिए।

  

(Picture Credit: Freepik)  
तुलसी जी के मंत्र

1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

2. तुलसी गायत्री -

ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

3. तुलसी स्तुति मंत्र -

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
4. तुलसी नामाष्टक मंत्र -

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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