story of Jalandhar vadh in hindi  
 
  
 
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं, जो व्यक्ति को चकित करने के साथ-साथ संदेश भी देती हैं। आज हम आपको एक ऐसी पौराणिक कथा बताने जा रहे हैं, जिसके अनुसार, भगवान शिव से उत्पन्न हुए एक रासक्ष का बल इतना बढ़ गया कि उसके विनाश के लिए एक चाल का सहारा लेना पड़ा। चलिए जानते हैं यह रोचक कथा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
क्या है पौराणिक कथा  
 
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महादेव कामदेव पर बहुत क्रोधित हो गए। उनके क्रोध से संसार भस्म न हो जाए, इसलिए उन्होंने अपनी क्रोधाग्नि को समुद्र में डाल दिया। इससे समुद्र से एक बालक की उत्पत्ति हुई, जिसके रोने की आवाज इतनी तेज थी, कि उससे पूरा संसार बहरा हो गया। तब उस बालक को ब्रह्मा जी ने अपनी गोद में उठा लिया। ब्रह्मा जी ने बालक का नाम जलंधर रखा।  
 
    
 
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)  
वृंदा से हुआ विवाह  
 
बड़ा होकर जलंधर एक बलशाली राक्षस बना, जिसका विवाह वृंदा से हुआ। वृंदा एक पतिव्रता नारी थी, जिस कारण जलंधर की शक्तियां और भी बढ़ गईं। असुर की पुत्री होने के बाद भी वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। अपनी शक्तियों के घमंड में चकनाचूर होकर वह पार्वती जी को पाने की इच्छा करने लगा। इसी कारण भगवान शिव और जलंधर के बीच अत्यंत भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन वृंदा के पतिव्रता धर्म के कारण शिव जी का उसपर विजय पाना मुश्किल हो रहा था।  
 
    
 
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)  
भगवान विष्णु ने लिया ये रूप  
 
ऐसे में भगवान विष्णु को एक युक्ति सूझी और उन्होंने जलंधर का रूप धारण किया। इस रूप में वह वृंदा के पास गए और वृंदा उनके साथ पति जैसा व्यवहार करने लगी। इससे वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और महादेव ने जलंधर पर विजय प्राप्त कर उसका वध कर दिया। यह सब जानने के वृंदा ने आत्मदाह कर लिया और उसकी राख से एख तुलसी पौधे उत्पन्न हुआ। इस प्रकार वृंदा तुलसी के रूप में पूजी जाने लगी।  
 
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