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बालिका के हत्यारे को आजीवन कारावास, 22 दिन में कोर्ट ने सुनाई सजा; मोबाइल बना अहम साक्ष्य

Chikheang 2025-10-14 15:37:50 views 541

  

प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।



जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। बालिका से दुष्कर्म के प्रयास में विफल होने पर गला दबाकर हत्या के मामले में दोषी को पुलिस ने 22 कार्यदिवस में सजा दिला दी। सोमवार को सुनाए निर्णय में न्यायालय ने हत्यारे को आजीवन कारावास की और 62 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। विवेचक ने आठ दिन में जांच पूरी कर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
रजावली क्षेत्र में 27 अगस्त को दुष्कर्म में विफल होने पर की थी वारदात



घटना 27 अगस्त की है। सुबह बालिका बकरी चराने गई थी। कुछ समय बाद पहुंचे पिता को वह नहीं मिली थी। तलाश करने पर उसका शव कुछ दूर पर बाजरे के खेत में मिला था। गले में रस्सी कसी हुई थी। इस हत्याकांड के बाद ग्रामीणों ने हंगामा किया था। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि एक 55 वर्षीय ध्यानपाल उर्फ पप्पू नशेड़ी किस्म का है। अक्सर बच्चों को टॉफी-मिठाई का लालच देकर उनके साथ उठते-बैठते देखा जाता है।

  
आठ दिन में दाखिल किया था आरोप पत्र, 62 हजार रुपये अर्थदंड लगाया

  

चौथे दिन शनिवार को पुलिस ने पप्पू को एटा-टूंडला मार्ग से गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने बताया था कि घटना वाले दिन वह बालिका के पास गया। उसे मोबाइल दिखाते हुए दुष्कर्म का प्रयास किया तो उसने विरोध करते हुए घरवालों से बताने की बात कही। जिससे वह डर गया। इस पर वह उसे बकरियां खेत में होने का झांसा देकर वहां ले गया। पीछे से उसे जमीन पर गिरा दिया और रस्सी से गला दबा दिया था।


पुलिस ने बच्ची का मोबाइल भी एक खेत से बरामद कर लिया था। घटना के आठवें दिन विवेचक ने साक्ष्य जुटाने और गवाहों के बयान दर्ज कर विवेचना पूरी कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। मामले की सुनवाई न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) एवं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुमताज अली की कोर्ट में हुई। अभियोजन की तरफ से एडीजीसी अवधेश भारद्वाज ने पक्ष रखा।  

  
कब क्या हुआ

  

27 अगस्त की घटना।
30 अगस्त घटना का पर्दाफाश हुआ।
चार सितंबर को आरोपपत्र दाखिल
11 सितंबर से मुकदमे की सुनवाई शुरू।
13 अक्टूबर को निर्णय आया।  

  
बालिका का मोबाइल बना अहम साक्ष्य

  

अभियाेजन की तरफ से वादी, बच्ची की मां, चाचा, डाक्टर, विवेचक एवं प्रधानाचार्य के बयान कोर्ट में दर्ज किए गए थे। है। दोषी को सजा दिलाने में बालिका का खेत से बरामद टूटा हुआ मोबाइल अहम साक्ष्य साबित हुआ।
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