आजमगढ़ ज‍िला कारागार के पैसों से अपराधी ने बहन की धूमधाम से की शादी, वारदात के तरीके से उड़ जाएंगे होश

cy520520 2025-10-13 02:06:29 views 1259
  

आरोपित के पास से पुलिस ने जेल अधीक्षक की फर्जी मुहर, फर्जी साइन किया हुआ चेक भी बरामद किया है।



जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जिला कारागार के सरकारी खाते में सेंध लगाते हुए 52,85,000 लाख रुपये की ठगी करने वाला मुख्य आरोपित रामजीत यादव उर्फ संजय दीपावली के बाद गुजरात भागने की फिराक में था। इससे पहले वह अपने मंसूबे में कामयाब होता पुलिस ने उसे साथियों के साथ दबोच लिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कोतवाली थाना की पुलिस ने बंदी रामजीत यादव सहित चार आरोपितों बंदी शिवशंकर उर्फ गोरख, वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद, चौकीदार अवधेश कुमार पांडेय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामले की जांच करने जेल डीआइजी शैलेंद्र कुमार शनिवार को जिला कारागार पहुंचे और करीब आठ घंटे तक मामले की गहनता से जांच की।

डीआइजी शैलेंद्र कुमार ने सभी रिकार्ड और अभिलेखों को खंगालने के बाद जेल अधीक्षक आदित्य कुमार सहित अन्य जेल के अधिकारियों से पूछताछ की। आरोपित रामजीत के पास से पुलिस ने जेल अधीक्षक की फर्जी मुहर, फर्जी साइन किया हुआ चेक भी बरामद किया है।

यह है मामला

बंदी को इलाज के लिए रुपये भेजने पर हुई जानकारी : जेल अधीक्षक आदित्य कुमार ने बताया कि एक बंदी को नौ अक्टूबर को इलाज के लिए बीएचयू भेजने के बाद मामले की जानकारी हुई। कुछ दिनों पहले एक बंदी की तबियत बिगड़ गई थी। इलाज के लिए उसे वाराणसी स्थित बीएचयू ले जाया गया। बंदी के इलाज के लिए जेल अधीक्षक की तरफ से पेशेंट रिलीफ केयर फंड से बीएचयू के खाते में 2,60,000 (दो लाख साठ हजार रुपए) ट्रांसफर किया था। जेल अधीक्षक ने वरिष्ठ सहायक प्रभारी लेखा मुशीर अहमद से इलाज में खर्च के बाद शेष राशि वापस मांगने पर वह गोलमोल जवाब देने लगा। संदेह होने पर जेल अधीक्षक ने उन्होंने एक कर्मचारी को बैंक का स्टेटमेंट लेने के लिए भेजा था। जिसके बाद मामले की जानकारी हुई। जेल अधीक्षक के तहरीर 10 अक्टूबर को रामजीत यादव, शिवशंकर उर्फ गोरख, मुशीर अहमद, अवधेश कुमार पांडेय के खिलाफ तहरीर देते हुए मुकदमा दर्ज कराया।

जेल में ही बनाई थी योजना : एएसपी सिटी मधुबन सिंह ने बताया कि जेल में बंदी रामजीत यादव को जेल के वरिष्ठ सहायक (लेखा प्रभारी) मुशीर अहमद के लेखक के रूप में तैनात किया गया था। यहीं पर रामजीत ने जेल से सरकारी रकम निकलने की प्रक्रिया की बारीकियों को समझा। काम के दौरान उसने जेल अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर की नकल करने का अभ्यास किया। क्योंकि जेल के सरकारी खाते से किसी भी रकम की निकासी के लिए चेक पर जेल अधीक्षक का हस्ताक्षर, लेखा प्रभारी का हस्ताक्षर और मुहर लगने के बाद ही खाते से रुपये निकलता था। जेल में ही उसने लेखा प्रभारी मुशीर अहमद और चौकीदार अवधेश पांडेय व अपने साथी शिवशंकर को शामिल किया। 20 मई 2024 जेल से छूटते ही रुपये की निकासी करने लगा।

बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका
जिला कारागार में बंदी रामजीत यादव रिहा होने के बाद जेल के वरिष्ठ सहायक मुशीर अहमद (एकाउंटेंट), चौकीदार अवधेश पांडेय और अपने साथी बंदी शिवशंकर यादव के साथ मिलकर कारागार के जेल अधीक्षक के नाम से संचालित सरकारी बैंक खाते की चेकबुक चोरी कर लाया था। चेक पर जेल अधीक्षक आदित्य कुमार का फर्जी हस्ताक्षर कर, फर्जी मुहर लगा जेल का ठेकेदार बनकर चौक स्थित केनरा बैंक में चेक लेकर जाता था। शुरूआत में वह दस से बीस हजार रुपये निकालता था। जेल का ठेकेदार बताने और लेखाकार का हस्ताक्षर व मुहर होने की वजह से किसी भी बैंक अधिकारियों ने क्रास चेक करने की जरूरत नहीं समझी। भरोसा बनने के बाद फिर वह लाखों रुपये भर खाते से निकालने लगा। पुलिसिया जांच में बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

धोखाधड़ी के रुपये से की थी बहन की शादी : रामजीत ने जेल के सरकारी खाते से निकाली गई 52 लाख 85,000 हजार धनराशि में से 20 जनवरी 2025 को अपनी बहन की शादी धूमधाम से की। शादी में उसने 25 लाख रुपये खर्च किया था। जिसकी पूरे गांव में चर्चा थी। यही नहीं जेल जाने के बाद मुकदमे की पैरवी, जमानत आदि में खर्च हुए दस लाख रुपये की लोगों की उधारी भी चुकता की। इसके बाद करीब तीन लाख रुपये की बाइक भी खरीदी थी। रामजीत ने अपने सहयोगी मुशीर अहमद को सात लाख रुपये, शिवशंकर यादव को पांच लाख रुपये और अवधेश कुमार पांडेय को डेढ़ लाख रुपये दिया था। सारी रकम खर्च करने के बाद आरोपित के खाते में मात्र 23 हजार रुपये ही शेष बचे हुए हैं।

पहली पत्नी की हत्या में गया था जेल : बिलरियागंज का रहने वाला रामजीत 2011 में दहेज के लिए पत्नी की हत्या के मामले में जेल गया था, 2017 में जमानत पर रिहा होने के बाद उसने नीतू से दूसरी शादी की थी। 2023 में दोबारा सजा काटने जेल गया। इसके बाद 20 मई 2024 जेल से छूटने के बाद को जमानत पर रिहा हो गया, जेल से बाहर आने के बाद रामजीत ने मुशीर व चौकीदार की मदद से जेल अधीक्षक का चेकबुक चोरी छिपे लेकर बाहर आ गया। इसके बाद उसने 21 मई 2024 को 10 हजार रुपये, 22 मई को 50 हजार रुपये और फिर 1.40 लाख रुपये निकाले। 18 महीनों तक वह लगातार खाते से पैसे निकालता रहा, लेकिन जेल प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। 22 सितंबर 2025 को 2.60 लाख रुपये की निकासी के बाद बैंक स्टेटमेंट की जांच में घोटाला उजागर हुआ। रामजीत ने अपनी पत्नी नीतू यादव के खाते में 2.40 लाख, मां सुदामी देवी के खाते में तीन लाख, इसी तरह उसने कुल 52 लाख 85 हजार रुपये की निकासी की।

गिरफ्तार होने वाले आरोपित :
1- रामजीत यादव उर्फ संजय (बंदी) निवासी जमुआ शाहगढ़, थाना बिलरियागंज, जिला आजमगढ़।
2- शिवशंकर उर्फ गोरख, (बंदी) निवासी चकमेउआ, थाना रानी की सराय, जिला आजमगढ़।
3- मुशीर अहमद, वरिष्ठ सहायक, जिला कारागार , थाना सिधारी, जनपद आजमगढ़।
4- अवधेश कुमार पांडेय, चौकीदार जिला कारागार, थाना सिधारी, आजमगढ़।
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अभी जांच प्रक्रिया चल रही है। अभी किसी संगठित गिरोह की बात सामने नहीं आ रही है। सभी आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार आरोपितों पर गैंग्स्टर एक्ट की कार्रवाई करने प्रक्रिया चल रही है। - मधुबन सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक सिटी।
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