आगरा किला की फाइल फोटो का प्रयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, आगरा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा आगरा किला की खाई (वॉटर मोट) की बाहरी दीवार का संरक्षण किया जाएगा। हाथी गेट के पास से दिल्ली गेट की तरफ खाई की दीवार जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। एएसआई के दिल्ली मुख्यालय ने 98 लाख रुपये के संरक्षण कार्य के प्रस्ताव काे स्वीकृति प्रदान कर दी है। शीघ्र ही इसके लिए टेंडर किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एएसआई के दिल्ली मुख्यालय ने स्वीकृत किया प्रस्ताव
आगरा किला से मुगलाें ने हिंदुस्तान पर हुकूमत की थी। किले की सुरक्षा की दृष्टि से उसके बाहर पानी वाली खाई (वॉटर मोट) बनाई गई थी। मुगल काल में इसमें पानी भरा रहता था। वर्तमान में यह खाई सूखी रहती है। यमुना में बाढ़ आने पर खाई में वॉटर गेट के पास पांच से छह फीट की ऊंचाई तक पानी भर गया था। खाई की दीवार हाथी गेट से लेकर दिल्ली गेट की तरफ चलने पर कई जगह क्षतिग्रस्त है।
13 मीटर ऊंचाई और 45 मीटर लंबी दीवार पर होगा काम
एएसआई ने पिछले वर्ष हाथी गेट के पास खाई की मरम्मत कराई थी। अब उससे आगे दिल्ली गेट की तरफ करीब 13 मीटर ऊंची और 45 मीटर लंबाई में दीवार का संरक्षण किया जाएगा। यह दीवार मूलत: रेड सैंड स्टोन के पत्थरों (खंडों) की बनी हुई है। इसमें कुछ जगह पर लाखौरी ईंटें व गुम्मा ईंटें भी लगी हुई हैं। संभवत: अलग-अलग समय में दीवार के क्षतिग्रस्त होने पर किए गए संरक्षण कार्य की वजह से यह स्थिति हुई है। एएसआई दीवार को मूल स्वरूप में सहेजते हुए रेड सैंड स्टोन से क्षतिग्रस्त भाग का संरक्षण कराएगा।
आगरा किला के वरिष्ठ संरक्षण सहायक कलंदर ने बताया कि वाटर माेट की बाहरी दीवार में अलग-अलग समय पर काम हुआ है। उसका संरक्षण करीब 98 लाख रुपये से किया जाएगा। इसमें करीब पांच माह का समय लगेगा।
बंद हैं हाथी गेट व वॉटर गेट
आगरा किला में चार गेट हैं। रामलीला मैदान की तरफ स्थित अमर सिंह गेट से पर्यटकों को आगरा किला में प्रवेश मिलता है। दिल्ली गेट सेना के नियंत्रण क्षेत्र में है। यहां से पर्यटकों का प्रवेश निषेध है। हाथी घाट के समीप स्थित हाथी गेट व वाटर गेट ब्रिटिश काल में बंद कर दिए गए थे। तभी से यह बंद चले आ रहे हैं। |