स्व. पूर्व विधायक नंदलाल मंराडी। (फाइल फोटो)
विवेकानंद सिंह, रोशना (कटिहार)। राजनीति की आज की चकाचौंध, हाई-फाई हुई कल्चर के बीच अतीत की राजनीतिक सादगी व संस्कार का आईना जनसेवा की सुचिता दर्शन कराता है।
सन 1962 में आजमनगर विधानसभा से आदिवासी आरक्षित सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने नंदलाल मरांडी का परिवार आज भी फूस की झोपड़ी में रहता है।
हमेशा लोगों की मदद को तत्पर रहने वाले नंदलाल का जीवन सादगी से भरा था। प्राणपुर प्रखंड के गौरीपुर पंचायत अंतर्गत खोजाटिहाट संथाली टोला के रहने वाले स्वर्गीय नंदलाल मरांडी को दो पुत्र है।
चीन युद्ध में दिया था दो माह का वेतन
बड़ा पुत्र सरकार मरांडी व दूसरे का नाम मंगल मरांडी है। सरकार मरांडी ने बताया कि मेरे पिताजी जब विधायक बने तो 1962 में भारत का चीन के साथ युद्ध हुआ था। मेरे पिताजी ने दो माह का वेतन इस युद्ध में दिया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकार मरांडी बिहार पुलिस से सेवा निवृत हैं। बताया कि उन्हें कटिहार स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो पर सरकार की ओर टी स्टाल मिला था। उसी को चला रहे हैं। दूसरे पुत्र मंगल मरांडी की मृत्यु हो गई है।
इनके पुत्र निर्मल मरांडी ने बताया कि मेरे पिताजी स्वर्गीय मंगल मरांडी के नाम पर जन वितरण प्रणाली का लाइसेंस था। लेकिन 2001 में पंचायत चुनाव के दौरान किसी कारणवश लाइसेंस रद हो गया। फिर दुबारा नहीं बना।
आज भी फूस और मिट्टी को दीवार के घर में रहते हैं। पंचायत के पूर्व मुखिया प्रताप सिंह ने बताया कि स्वर्गीय विधायक नंदलाल मरांडी की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। आज की राजनीति धन, बल की हो गई है। नैतिकता का पैमाना अदृश्य-सा हो गया है। |
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