कला सुनाएगी नदियों की अनकही दास्तां। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जीवनदायिनी नदियों के प्रति सम्मान और संरक्षण का संदेश लेकर नदी उत्सव का छठा संस्करण 25 सितंबर से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) में शुरू होने जा रहा है।
यह तीन दिवसीय उत्सव के आयोयन का उद्देश्य भारतीय सभ्यता में नदियों के गहरे सांस्कृतिक और पारिस्थितिक महत्व को उजागर करने की अपनी परंपरा को आगे बढ़ाना और युवाओं को नदियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। इस उत्सव में यमुना नदी के अनछुए पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की जाएगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आइजीएनसीए के जनपद सम्पदा विभाग के अध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार और नदी उत्सव के संयोजक अभय मिश्र ने बताया कि 2018 में नासिक के गोदावरी तट से शुरू हुआ यह उत्सव आज एक विशिष्ट पहचान बना चुका है।
मिश्र ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी नदियों को भूलते जा रहे हैं, जबकि ये हमारी संस्कृति और जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
उत्सव का शुभागंभ बृहस्पतिवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल द्वारा किया जाएगा। इस उत्सव में \“\“रिवरस्केप डायनेमिक्स, चेंजेंस एंड कंटिन्युटी\“\“ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की जाएगी। जिसमें 45 शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे और आध्यात्मिक और सामाजिक क्षेत्र के कई विशेषज्ञ अपने विचार साझा करेंगे। जो नदियों के बदलते स्वरूप और उनकी निरंतरता पर गहन मंथन करेंगे।
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फिल्म, कला और संगीत का अनूठा मंच
\“\“माई रिवर स्टोरी\“\“ नामक डाक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें नदी से संबंधित 36 चुनिंदा फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। इसमें से सर्वश्रेष्ठ तीन फिल्मों और रील्स को पुरस्कृत भी किया जाएगा और उत्सव में नई प्रतिभाओं को अपनी कला के माध्यम से नदियों की कहानी कहने का मौका भी दिया जाएगा।
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इसके साथ ही उत्सव में कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। समकालीन कला, छायाचित्र, और कालीघाट प्रदर्शनियां भी प्रदर्शित की जाएंगी। इन प्रदर्शनियों में नदियों को कलाकारों की नजर से दर्शक देख सकेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गुरु सुधा रघुरामन द्वारा शास्त्रीय गायन, कपिल पांडे द्वारा \“\“गंगास कर्स\“\“ कहानी, हिमांशु वाजपेयी और प्रज्ञा द्वारा \“\“गंगा गाथा\“\“ दास्तानगोई और सौरव मोनी द्वारा बंगाल के नदी गीतों की प्रस्तुति दी जाएगी। |