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दुर्गा प्रतिमाओं में हो रहा हानिकारक केमिकल का प्रयोग, स्वास्थ्य पर पड़ता है ये असर

deltin33 2025-9-25 18:01:20 views 1241

  दुर्गा प्रतिमाओं में हो रहा हानिकारक केमिकल का प्रयोग। फाइल फोटो





जागरण संवाददाता, पटना। दुर्गा पूजा-दशहरा पर इस वर्ष स्वास्थ्य पर दूरगामी, लेकिन घातक दुष्प्रभावों से बचाने पर जिला प्रशासन का विशेष जोर है। इसके लिए डीएम ने सभी पूजा समितियों से राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करने का निर्देश दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसके अनुसार समितियों को सुनिश्चित करना होगा कि सभी प्रतिमा प्राकृतिक सामग्री जैसे पारंपरिक मिट्टी, बांस-पुआल और पानी में घुलनशील गैर विषैले प्राकृतिक रंगों से बनाई जाएं।



प्रतिमा निर्माण में प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) और लेड, कैडमियम, आर्सेनिक, मरकरी, कापर, जस्ता, कोबाल्ट, मैगनीज, बेरियम, एंटीमनी या स्ट्रांशियम जैसी विषैली-भारी धातुओं से बने व गैर जैव विघटनीय रासायनिक या कृत्रिम चमकीले रंगों का प्रयोग नहीं किया जाना है।

उन्हें डीएम व संबंधित स्थानीय निकाय के समक्ष अनिवार्य रूप से इसकी घोषणा करनी होगी। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए मूर्तियों का विसर्जन कृत्रिम तालाबों में ही करना है। किसी भी बहती धारा में विसर्जन को प्रतिबंधित किया गया है।



गांधी मैदान में दो अक्टूबर को होने वाले रावण वध कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आने वालों को प्रवेश व निकासी में परेशानी नहीं हो, इसके लिए पूरे समय सभी 13 गेट खुले रहेंगे। इसके लिए सभी गेट की ग्रीसिंग कर उन्हें सुदृढ़ करने को कहा गया है।

यही नहीं रावण वध बाद मैदान पूरी तरह से खाली होने तक प्रतिनियुक्त दंडाधिकारियों व पुलिस पदाधिकारियों को मौके पर मौजूद रहने को कहा गया है।

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इसके अलावा नगर पुलिस अधीक्षक मध्य, अनुमंडल पदाधिकारी, पटना सदर एवं अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था को भीड़ प्रबंधन, यातायात-सुरक्षा-विधि व आकस्मिक चिकित्सा व्यवस्था समेत तमाम बिंदुओं पर एसडीआरएफ से समन्वय कर माकड्रिल करने को कहा गया है।

सिविल सर्जन आकस्मिक मेडिकल प्लान का क्रियान्वयन करने के साथ सभी बड़े अस्पतालों के अधीक्षकों से समन्वय कर इमरजेंसी प्रबंधन के लिए तैयार रहने की व्यवस्था कराएंगे।



जिलाधिकारी डा. त्यागराजन एसएम ने गांधी मैदान व आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर रावण-वध की तैयारियों की समीक्षा के क्रम में अधिकारियों को ये निर्देश दिए।
प्रतिमा कारीगरों से सामग्री की जरूर लें जानकारी

जिला प्रशासन ने बताया कि भारी धातुओं से बने कृत्रिम रंगों की अधिक मात्रा किडनी, फेफड़े, तंत्रिका तंत्र व अन्य अंगों के लिए लंबे समय में घातक हो सकती है। जलस्रोतों में घुलकर ये लंबे समय तक मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।



खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए ये कृत्रिम रंग घातक साबित होते हैं। प्लास्टर आफ पेरिस में भी जिप्सम, सल्फर व मैग्निशियम जैसे रासायनिक तत्व होते हैं जो जल में आक्सीजन की मात्रा कम करते हैं और जलीय जीव-जंतुओं के लिए घातक साबित होते हैं।
भारी धातुओं से बने रंग का स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव





    रंग भारी धातु स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
   
   
   हरा, पीला
   सीसा (लेड)
   मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र, गुर्दा, रक्त, प्रजनन क्षमता पर दुष्प्रभाव
   
   
   बैंगनी
   क्रोमियम
   छाती दर्द, फेफड़े, दमा, जिगर, गुर्दे पर दुष्प्रभाव
   
   
   लाल-भूरा
   आर्सेनिक
   त्वचा, फेफड़े, रक्त, जिगर, गुर्दा को नुकसान
   
   
   हरा
   पारा (मरकरी)
   श्वसन नली व मस्तिष्क को नुकसान
   
   
   नीला
   तांबा (कॉपर)
   आंतों एवं रक्त संबंधी दुष्प्रभाव
   
   
   अंबर
   कोबाल्ट
   फेफड़े एवं त्वचा में जलन
   
   
   सुनहरा, सफेद
   जिंक
   त्वचा व पाचन अंगों की समस्या
   
   
   लाल
   स्ट्रांशियम
   हड्डी, दांत व किडनी की समस्या
   
   
   नारंगी, पीला, ग्रे
   एंटिमनी
   पाचन नली व फेफड़ों को नुकसान
   
   
   भूरा-बैंगनी
   मैंगनीज
   तंत्रिका तंत्र, फेफड़े पर दुष्प्रभाव
  
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