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Uttarakhand Exam Paper Leak: परीक्षार्थियों ने खोली पोल, दूधली के परीक्षा केंद्र में 15 मिनट पहले शुरू हो गई थी परीक्षा

Chikheang 2025-10-9 18:36:17 views 1247

  

सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में बुधवार को हुआ जन संवाद



राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के दौरान हुए पेपरलीक प्रकरण को लेकर जन-संवाद किया गया। सरकार की ओर से गठित उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी एकल सदस्य जांच आयोग के समक्ष परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने आयोग की खामियों की एक-एक कर सामने रखा और परीक्षा की शुचित पर कई सवाल खड़े किए। स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में शामिल रहे 22 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में तमाम खामियों को पीठ के समक्ष रखा। अभ्यर्थियों, अभिभावकों एवं राज्य के हित धारकों ने आयोग से 21 सितंबर, 2025 को हुई भर्ती परीक्षा रद कर नई तिथि घोषित करने का आग्रह किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

परीक्षार्थी एवं उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने आयोग से शिकायत की कि पीएम-श्री राजकीय इंटर कालेज दूधली में बनाए गए परीक्षा केंद्र में 21 सितंबर को पेपर सुबह 10.45 बजे से हल करना प्रारंभ करा दिया गया। जबकि, पेपर प्रारंभ होने का समय सुबह 11 बजे था। 15 मिनट पहले प्रश्न पत्र हल करने की अनुमति किसने दी, आयोग इसकी जांच करे।

सर्वे चौक स्थित आइआरडीटी सभागार में बुधवार को आयोजित जन संवाद में न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने वहां उपस्थित परीक्षार्थियों के तर्क सुने और कुछ दस्तावेज छात्रों से प्राप्त किए। रुद्रप्रयाग जनपद के अभ्यर्थी अखिलेश सिंह ने बताया कि वह चार साल से परीक्षा की तैयारी कर रहा है। अखिलेश ने बताया कि उसके परीक्षा केंद्र रेसकोर्स स्थित गुरुनानक इंटर कालेज में प्रकाश की उचित व्यवस्था ही नहीं थी। कहा कि आयोग के अध्यक्ष पेपरलीक मान ही नहीं रहे हैं, जबकि सरकार भर्ती परीक्षा की सीबीआइ से जांच करवा रही है। आखिर अभ्यर्थी इसे क्या समझें।

पुरोला के परीक्षार्थी तनुज असवाल ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखा कि बार-बार पेपरलीक प्रकरण सामने आने से गरीब अभ्यर्थियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कई परीक्षार्थी ऐसे मामले सामने आने के बाद अवसाद में हैं। बेटे की तबीयत खराब होने से गरीब परिवार टूट जाता है। सरकार को ऐसे गरीब युवाओं की भी चिंता करनी चाहिए।

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मौसम खराब होने के बाद भी क्यों की गई परीक्षा

बड़कोट निवासी परीक्षार्थी गणेश चौहान, नवप्रभात बहुगुणा, जयदेव सिंह व मुकेश कुमार ने कहा कि प्रदेश में धराली, थराली एवं रुद्रप्रयाग, चंपावत समेत करीब आठ जनपद आपदा से जूझ रहे थे अधिकांश सड़कें बंद थीं। राज्य आपदा से घिरा होने के बाद भी यूकेएसएसएससी ने 21 सितंबर को भर्ती परीक्षा आयोजित की। अधिकतर छात्र परीक्षा बाद में आयोजित करवाने के पक्ष में थे और बार-बार आयोग से संपर्क भी कर रहे थे।

थंब इंप्रेशन या आधार कार्ड का उपयोग क्यों नहीं किया गया

उत्तरकाशी के छात्र अमित कुमार एवं अल्मोड़ा के परीक्षार्थी रमेश जोशी ने आयोग की आवेदन प्रक्रिया पर ही सवाल खड़े किए। कहा कि एक अभ्यर्थी तीन-तीन आनलाइन आवेदन पत्र कैसे भर रहा है। आयोग के पास इसे रोकने या प्रारंभिक चरण में इसे पकड़ने की कोई तकनीकी क्यों नहीं है। आयोग अभ्यर्थी का थंब इंप्रेशन ले या आधार नंबर आवेदन पत्र में अंकित करवाए, ताकि आवेदन के दौरान ही एक से अधिक फार्म भरने वाला अभ्यर्थी पकड़ में आ सकें।

सनातन धर्म रुड़की परीक्षा केंद्र में ओएमआर सीट रिक्त थी

उत्तराखंड बेरोजगार संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कंडवाल ने आरोप लगाए कि रुड़की स्थित परीक्षा केंद्र सनातन धर्म विद्यालय इंटर कालेज में परीक्षार्थियों की ओएमआर सीट ब्लैंक (रिक्त) थी। देहरादून के एक पब्लिक स्कूल में बने परीक्षा केंद्र की एक महिला परीक्षार्थी का कहना है कि उसके कक्ष से एक अभ्यर्थी परीक्षा के दौरान वाशरूम गया, लेकिन कुछ देर बाद उसकी जगह दूसरा अभ्यर्थी अंदर आया। इस प्रकार के मामलों की जांच होनी चाहिए।



‘स्नातक स्तरीय परीक्षा रद्द होनी चाहिए। यूकेएसएसएससी को जन सुनवाई करनी चाहिए, ताकि अभ्यर्थी आयोग की खामियों को अध्यक्ष के समक्ष रख सकें। अभी तक आयोग ने अभ्यर्थियों को मिलने का समय सिर्फ दो घंटे निर्धारित किया है, यह नाकाफी है।’
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-दीपक नौटियाल, टिहरी


‘आयोग की परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों के मन में अब कई आशंका उठ रही हैं। स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपरलीक प्रकरण की तो एसआइटी एवं विशेष जांच कराई जा रही है। आगे कोई ऐसे प्रकरण सामने न आएं, यह हर हाल में सुनिश्चित होना चाहिए।’
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- गणेश चौहान, उत्तरकाशी


‘यूकेएसएसएससी को समूह-ग की परीक्षा का सिलेबस तय करना होगा। इससे परीक्षार्थियों को असमंजस से जूझना नहीं पड़ेगा। अभी तक देखने में आया है कि कुछ प्रश्न पत्रों में दिए गए सवालों के जवाब ही नहीं मिलते हैं।’
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- पंकज तिवारी, विकासनगर
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