धमाके के बाद बिखरा सामान व जुटी भीड़। जागरण
जागरण संवाददाता, कानपुर। अवैध पटाखों के भंडारण पर रोक होने के बावजूद दीपावली से कई दिन पहले ही नगर बारूद के ढेर पर रहता है। व्यापारी त्योहार के आखिरी समय पर पटाखों के दाम बढ़ जाने की आशंका पर 20 दिन पहले ही दूसरे जिलों से पटाखों को मंगवा लेते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नवाबगंज से लेकर मेस्टन रोड, दबौली से लेकर गोविंद नगर व शास्त्री नगर व बर्रा समेत क्षेत्रों की अधिकांश गलियों में हर साल करोड़ों के पटाखों का भंडारण किया जाता है, लेकिन स्थानीय थाना पुलिस आंखे मूंदे रहती है।
बुधवार शाम मेस्टन रोड के मिश्री बाजार में हुआ विस्फोट भी इसकी एक बानगी है। अगर कमिश्नरेट पुलिस पहले से अलर्ट होकर इस पर नजर रखती तो ये घटना न होती।
नवाबगंज, बिठूर, गुमटी, बृजेंद्र स्वरूप पार्क, फूलबाग, शास्त्री नगर, किदवई नगर, बर्रा, दबौली, नौबस्ता, समेत 42 स्थानों पर एक हजार से ज्यादा से ज्यादा दुकानें फुटकर की लगती हैं, जबकि थोक की करीब 20 दुकानें लगती हैं। ये व्यापारी आगरा, मैनपुरी, हाथरस, वाराणसी पटाखे मंगवाते हैं, लेकिन देशी पटाखों के लिए व्यापारी उन्नाव, कानपुर देहात, फतेहपुर समेत जिलों से लाते हैं।
सूत्रों के अनुसार, लोग पटाखों का भंडारण दीपावली से लगभग 20 दिन पहले ही करते हैं, जिससे त्याेहार से पहले ही अपने संपर्क में रहने वालों को पटाखें बेचने व सस्ते पटाखे मिलने के लालच में विभिन्न दुकानों की आड़ में अवैध पटाखों का व्यापार करते हैं। सूत्रों के अनुसार नगर में पांच करोड़ से ज्यादा के पटाखे नगर में आ चुके हैं।
इतनी भारी मात्रा में पटाखे होना मतलब नगर बारूद के ढेर में होने से कम नहीं है। बुधवार शाम जिस मेस्टन रोड के मिश्री बाजार में विस्फोट हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस बाजार में 250 से ज्यादा बच्चों के पटाखों वाली बंदूक (खिलौने), चुटपुटिया बिक्री की दुकान, पर्स-बेल्ट, सजावट वाले प्लास्टिक के फूल बेचने वालों समेत दुकाने हैं, लेकिन यहां इन दुकानों की आड़ में तेज धमाकों वाली तीव्रता व देशी पटाखों का भंडारण रहता है, जो चोरी छिपे लोगों को बेचते हैं।
हालांकि विस्फोट होने के बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त ने दुकानदारों से जब पटाखों की बिक्री के बारे में जानकारी की तो सब ने इन्कार किया, पर जब एलआइयू, बम निरोधक दस्ता और डाग स्क्वाड पहुंचा और जांच शुरू की तो दुकानदारों की करतूत सामने आ गई।
जिस जगह विस्फोट हुआ था। उसके सामने फजल हक की पटाखों के खिलाैने की दुकान की टीनशेड पर सीको का बड़ा पैकेट निकला। डाग स्क्वाड ने जब ऊपर पड़े त्रिपाल के नीचे काफी मात्रा में पटाखों का ढेर देखा। हालांकि लोगों की भीड़ को देख पूरे पटाखे नहीं निकाले गए।
पुलिस ने जांच के लिए दुकानें खुलवाने का किया प्रयास, पर दुकानदार बचते रहे
दुकानदारों की करतूत सामने आने के बाद पुलिस अधिकारियों ने जांच के लिए घटनास्थल के आसपास की दुकान खुलवाने के लिए, लेकिन दुकानदार बचते रहे। बगल में चश्मे, पर्स व बेल्ट की दुकान आमिर की है। वह शटर उठाने लगा तो अन्य दुकानदारों ने इशारा कर उसे बंद करा दिया। लोगों की काफी भीड़ देख पुलिस अधिकारी भी उस समय कुछ नहीं बोले।
आराम से बिकें अवैध पटाखे, इसीलिए नहीं लगने दे रहे थोक बाजार
अवैध पटाखा का कारोबार करने वाला सिंडीकेट काफी मजबूत है। पिछले पांच-छह सालों से यह सिंडीकेट थोक पटाखा बाजार नहीं लगने से दे रहा था। इसके पीछे यही उद्देश्य यह था कि थोक पटाखा बाजार नहीं लगेगा तो उनके पटाखे आसानी से बिक जाएंगे।
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इस खेल में कुछ पुलिस अधिकारी और सत्ताधारी पार्टी के नेता भी शामिल हैं। इस बार भी थोक पटाखा बाजार को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है और सिंडीकेट जहां कहीं भी बाजार लगने की बात तय होती है, वहां विरोध पर उतर आता है, जबकि दीपावली को चंद दिन ही शेष बचे हैं।
मेस्टन रोड सबसे बड़ा ठिकाना, पुलिस की देखरेख में लगता है बाजार
अवैध पटाखा बाजार का सबसे बड़ा ठिकाना मेस्टन रोड है। करीब पंद्रह दिन पहले से यहां बाजार लग गया था। सड़क के दोनों और गलियों में पटाखा बाजार सजा हुआ है। मूलगंज पुलिस और कोतवाली रोजाना के हिसाब से इस अवैध बाजार से लाखों की वसूली कर रही थी। इसी वजह से सब आंखों से देखते हुए भी पुलिस आंखें बंद किए हुए थी। |