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किलर कफ सीरप: बच्चों की मौत पर सोया रहा मध्य प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र, सामने आई बड़ी लापरवाही

Chikheang 2025-10-9 07:36:18 views 1240

  

किलर कफ सीरप: बच्चों की मौत पर सोया रहा मध्य प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कफ सीरप से बच्चों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश औषधि प्रशासन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। 26 सितंबर तक आठ बच्चों की जान जा चुकी थी, इसके बाद भी छिंदवाड़ा से संदिग्ध कफ सीरप के सैंपल हाथों-हाथ भेजने की जगह परंपरागत स्पीड पोस्ट से भोपाल भेजे गए। इन्हें 283 किमी दूर भोपाल पहुंचने में तीन दिन लग गए, जबकि इन्हें छह से आठ घंटे में पहुंचाया जा सकता था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उधर, छह बच्चों की मौत होने तक सरकारी तंत्र सोया रहा। यह माना जाता रहा कि किसी बीमारी से बच्चों की किडनी खराब हो रही है। नागपुर में बच्चों की किडनी की बायोप्सी में डीईजी मिलने के बाद तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने सिर्फ छिंदवाड़ा में 29 सितंबर को कोल्डि्रफ पर प्रतिबंध लगाया। इसके पहले औषधि निरीक्षकों ने कफ सीरप के सैंपल तक नहीं लिए। चार सितंबर को पहले बच्चे की मौत के एक माह बाद छह अक्टूबर को ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटाया गया। डिप्टी ड्रग कंट्रोलर और दो ड्रग इंस्पेक्टरों को निलंबित किया गया।
पहली बार पीड़ितों के बीच पहुंचे उप मुख्यमंत्री, कहा - पांच बच्चे अब भी बीमार

स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल पहली बार उपचार करा रहे बच्चों का हालचाल जानने मंगलवार शाम नागपुर पहुंचे। इसके बाद बुधवार को छिंदवाड़ा में उन्होंने बताया कि पांच बच्चों का उपचार चल रहा है। छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. नरेश गुनाडे को पद से हटा दिया है।
चेतावनी छपवाने का पालन राज्य नहीं करा पाए

मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी औषधि प्रशासन विभाग की इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है। केंद्रीय औषधि मानक एवं नियंत्रण संगठन की वर्ष 2023 की गाइडलाइन में स्पष्ट लिखा है कि चार वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सीरप नहीं देने संबंधी चेतावनी बोतल के लेबल पर छपी होनी चाहिए, पर इसका पालन कोई राज्य नहीं कर पाया। मध्य प्रदेश में \“कोल्ड्रिफ\“ के अमानक बैच की 660 बोतल की आपूर्ति की गई थी, पर किसी में यह चेतावनी नहीं थी।
बीच में से कोई अपना जाता है तो कष्ट होता है : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को कहा कि मैं भरे मन से कह सकता हूं और हम सबको लगता है कि कहीं ऐसी कोई चूक होती है और बीच में से कोई अपना जाता है तो कष्ट होता है। फिर चाहे छिंदवाड़ा की बात हो। मैं भी वहां गया और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल भी नागपुर गए, जहां बच्चे भर्ती हैं। पक्ष और प्रतिपक्ष के लोगों से कहना चाहता हूं कि चुनाव तो पांच साल में आता है, लेकिन चुनाव के बीच में हमारी परस्पर समझ बनी रहे, सहानुभूति भी रहे।
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