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पराली जलाएं नहीं.. बस करें ये काम होगी मोटी कमाई, सरकार भी दे रही प्रोत्साहन राशि

LHC0088 2025-10-9 00:36:40 views 1247

  कुछ किसान पराली जलाकर प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, वहीं लांबा पराली प्रबंधन से मुनाफा कमा रहे हैं। फाइल फोटो





सुभाष डागर, बल्लभगढ़। जहां कुछ किसान पराली जलाकर पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, वहीं जवां गाँव के प्रगतिशील किसान डॉ. हुकम सिंह लांबा अपने खेतों में पराली का प्रबंधन कर रहे हैं और आम और गुठली, दोनों से मुनाफ़ा कमा रहे हैं। वे अपने खेतों में रोटावेटर से सीधे पराली की जुताई करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ा रहे हैं और 1,200 रुपये प्रति एकड़ की सरकारी प्रोत्साहन राशि प्राप्त करके आर्थिक लाभ कमा रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



धान की फसल अब पक चुकी है और कटाई ज़ोरों पर शुरू हो गई है। मंडियों में धान की आवक शुरू हो गई है। कुछ किसान रबी की फसल की समय पर बुवाई सुनिश्चित करने के लिए पराली जलाते हैं। पराली के धुएं से दिल्ली-एनसीआर में घना धुआं छा जाता है, जिससे अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। कई लोगों की दम घुटने से मौत भी हो चुकी है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों के बाद, प्रदूषण कम करने के लिए शहर के पेड़ों और सड़कों पर एंटी-स्मॉग गन से छिड़काव किया जा रहा है। GRAP लागू किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ मुकदमा चलाने और जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।



सरकार ने मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर अपनी धान की फसल का पंजीकरण कराने वाले किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ ₹1,200 की प्रोत्साहन राशि देने की योजना शुरू की है। सरकार पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को सब्सिडी वाले कृषि उपकरण उपलब्ध कराती है। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कस्टम-हायर सेंटर स्थापित किए हैं, जहां छोटे और मध्यम आकार के किसानों को सब्सिडी वाली मशीनें उपलब्ध कराई जाती हैं।



इन सरकारी योजनाओं से प्रेरित होकर, जवां गांव के प्रगतिशील किसान डॉ. हुकम सिंह लांबा ने अपने खेतों में पराली प्रबंधन करने का फैसला किया है। वह अन्य किसानों को भी पराली प्रबंधन और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसा करके, वह अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।


मैंने 16 एकड़ धान की फसल बोई है और अपनी फसल को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत कराया है। अब तक, मैं तीन एकड़ धान की कटाई कर उसे मंडी में ला चुका हूँ। मैं अपने खेतों में पराली जलाने के बजाय, उसे रोटावेटर से जोतकर मिट्टी में मिला रहा हूँ। पराली जलाने से कृषि के मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की ऊपरी परत जल जाती है, जिससे फसल उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।



पराली को जोतने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। अगर कृषि अधिकारी यह पुष्टि करते हैं कि पराली की जुताई और प्रबंधन किया गया है, तो सरकार उनकी रिपोर्ट के आधार पर प्रति एकड़ 1,200 रुपये की सब्सिडी देती है। इससे आर्थिक लाभ होता है। मैं दूसरे किसानों को भी पराली जलाने के बजाय उसका प्रबंधन करने और लाभ कमाने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।

-डॉ. हुकम सिंह लांबा, प्रगतिशील किसान, जवां
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