परिवार पहचान पत्र से जुड़ेंगे टैक्स और जमीन के रिकॉर्ड। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार अब परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) को सिर्फ पहचान या आधार लिंकिंग तक सीमित नहीं रखना चाहती। अगले चरण में इस योजना का चेहरा बदलने वाला है। सरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के सहारे पीपीपी को भूमि स्वामित्व रिकार्ड, आयकर रिटर्न, बैंक अकाउंट और टीडीएस डेटा से जोड़ने की तैयारी कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हीं तक पहुंचे, जिन्हें वास्तव में इसकी जरूरत है। अभी तक पीपीपी केवल आधार और लाभार्थी परिवार के एक बैंक अकाउंट से जुड़ा है। भविष्य में इसका दायरा काफी व्यापक होने जा रहा है। राज्य सरकार ने भूमि अभिलेखों को लिंक करने का काम पहले ही शुरू कर दिया है।
अगले चरण में इसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के डाटा से भी जोड़ दिया जाएगा। यानी किसी भी परिवार की आय, बैंकिंग ट्रांजेक्शन और टैक्स रिटर्न एक क्लिक में ट्रैक हो सकेंगे। पीपीपी केवल पहचान का दस्तावेज नहीं रहेगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्थिति का पूरा डिजिटल खाका होगा। सरकार को उम्मीद है कि पीपीपी और एआइ का यह मेल हरियाणा की ‘लाभार्थी राजनीति’ को नई दिशा देगा और असली हकदारों तक योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करेगा।
पीपीपी कार्यक्रम के स्टेट को-आर्डिनेटर सतीश खोला का कहना है कि भूमि अभिलेखों और सीबीडीटी डेटा को पीपीपी से जोड़ना कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। एआइ से डेटा का विश्लेषण होगा, जिससे पात्रता का अधिक सटीक आकलन किया जा सकेगा। योजना की उच्चस्तरीय समीक्षा हो चुकी है और जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।
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सरकार का तर्क है कि जब लाभार्थियों का पूरा वित्तीय व भूमि डाटा एक ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा, तो फर्जीवाड़े की संभावना बेहद कम हो जाएगी। किसी भी परिवार के कई बैंक खातों की जानकारी भी सामने आ जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि योजना का लाभ डुप्लीकेट अकाउंट या गलत दस्तावेज़ के आधार पर न लिया जाए। यह कदम केवल प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बड़ा प्रयोग होगा।
पीपीपी का यह नया स्वरूप हरियाणा को उन चुनिंदा राज्यों की कतार में खड़ा कर देगा, जो डेटा-ड्रिवन गवर्नेंस की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले चरण में आधार और बैंक अकाउंट लिंक किए जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में भूमि रिकार्ड और टैक्स डाटा इंटीग्रेशन पर काम होगा। तीसरे चरण में एआइ आधारित डेटा विश्लेषण और पात्रता निर्धारण पर काम होगा।
76 लाख परिवारों के पीपीपी, इनमें 40 लाख बीपीएल
हरियाणा में अब तक 76 लाख से ज्यादा परिवार पहचान पत्र बनाए जा चुके हैं। इनमें से 40 लाख से अधिक परिवार बीपीएल श्रेणी में दर्ज हैं। यही वजह है कि सरकार अब इस डाटा को और अधिक पारदर्शी बनाना चाहती है, ताकि वास्तविक गरीब परिवारों को ही लाभ मिल सके।
आय प्रमाण पत्र की जगह डिजिटल ट्रैकिंग अभी तक किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आय प्रमाण पत्र, आधार और कुछ सहायक दस्तावेज़ देना अनिवार्य था। लेकिन अब तस्वीर बदल जाएगी।
एआइ संचालित सिस्टम सीधे यह बता सकेगा कि किस परिवार की वास्तविक आय कितनी है, उनके पास कितनी जमीन है और वे किस टैक्स स्लैब में आते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि डिजिटल रिकार्ड पहले से सरकारी विभागों में मौजूद हैं। एआइ इन्हें जोड़कर पात्रता का असली नक्शा खींच देगा। |