deltin51
Start Free Roulette 200Rs पहली जमा राशि आपको 477 रुपये देगी मुफ़्त बोनस प्राप्त करें,क्लिकtelegram:@deltin55com

Sharad Purnima 2025 : 16 कलाओं से युक्त चंद्र रश्मियों ने बरसाया अमृत, गोदुग्ध की खीर में हुआ पान

LHC0088 2025-10-7 19:06:41 views 571

  श्रद्धालुओं ने रखा काेजागरी व्रत, रात्रि जागरण कर की महालक्ष्मी व इंद्र की आराधना।





जागरण संवाददाता, वाराणसी। आश्विन पूर्णिमा सोमवार को अपनी 16 कलाओं से युक्त पूनम का चंद्र काफी मनोहारी दिखा। अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक मधुर, शीतल और चमकदार। शरद पूर्णिमा की मान्यता के अनुसार चंद्र रश्मियों से इस रात अमृत वर्षा हुई और श्रद्धालुओं ने उसे गो-दुग्ध की खीर में सहेजा और आधी रात के बाद उसका पान किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कहीं-कहीं अमृतयुक्त खीर का पान मंगलवार की प्रात: भी किया जाएगा। कोजागरी का व्रत रखते हुए आस्थावानों ने मां महालक्ष्मी के आगमन की पूरी रात जागकर बाट निहारी और उनका विधिवत षोडशोपचार पूजन किया। बंग समुदाय में कोजागरी को लेकर विशेष उत्साह देखा गया।



बंग समाज के दुर्गा पूजा पंडालों में ही इस दिन महालक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिवत पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने मां लक्ष्मी व ऐरावत सवार देवराज इंद्र को विभिन्न प्रकार के फल, लावा, चूड़ा, तिल पट्टी आदि का प्रसाद चढ़ाया एवं खिचड़ी पूड़ी, पांच प्रकार की भुजिया, सब्जी एवं खीर का भोग लगाया।

आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर अपने पूर्ण स्वरूप में और पूरे वर्ष की अपेक्षा सर्वाधिक चमकदार होता है और उसकी रश्मियों से अमृत वर्षा होती है। इस अमृत युक्त खीर से अनेक तरह की बीमारियां ठीक होती हैं।



इस शीतल मधुर रात में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी गोपियों संग महारास किया था। इस रात्रि में महालक्ष्मी, कुबेर व देवराज इंद्र संग भक्तों के घर पधारती हैं। भक्तों ने कोजागरी व्रत करते हुए अपने घरों के भीतर व बाहर साफ-सफाई कर दीप जला, अर्धरात्रि में मां लक्ष्मी, देवराज इंद्र व कुबेर का स्वागत व पूजा की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं पर भी शरद पूर्णिमा उत्सव का आयोजन हुआ। जुटे स्वयंसेवकों ने खीर बनाकर उसे खुले में चंद्ररश्मियों के नीचे रख अमृत संग्रहण किया और आधी रात तक खेलकूद जैसे शारीरिक व बौद्धिक कार्यक्रम करते रहे। अर्धरात्रि को खीर प्रसाद ग्रहण किया। जिम स्पोर्टिंग क्लब, श्रीरामकृष्ण मिशन आदि बंग समुदाय के दुर्गा पूजा पंडालों में मां लक्ष्मी की प्रतिमाओं की आराधना की गई। लोगों ने अपने पूर्वजों को पितृलोक की राह दिखाने के लिए दीपदान किया व आकाशदीप जलाए।



शरद पूर्णिमा उत्सव का उल्लास तेलियाना स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में भी देखने को मिला। श्वेत चांदनी रात में खुले आकाश के मध्य श्रीलाट भैरव भजन मंडली ने सुंदरकांड का संगीतमय पाठ किया। मंदिर की छत पर भगवान श्रीराधा कृष्ण, शालिग्राम, श्रीराम जानकी आदि देव विग्रहों की चल प्रतिमाओं का श्रृंगार कर भव्य दरबार सजाया गया।

अमृत वर्षा सहेजने को गाय के दूध, शुद्ध देशी घी से निर्मित केशर युक्त खीर को रजत पात्र में रखा गया। भक्तों में प्रसाद वितरण हुआ। महंत रामदास, विष्णुदास महाराज, केवल कुशवाहा, गोविंद विश्वकर्मा, शिवम अग्रहरि, धर्मेंद्र शाह, उत्कर्ष कुशवाहा, जयप्रकाश राय, सुरेश तिवारी, जियालाल, सोमनाथ, राजू विश्वकर्मा, विनोद आदि भक्तवृंद उपस्थित थे।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

210K

Threads

0

Posts

610K

Credits

Forum Veteran

Credits
66869