बिहार में दरभंगा महाराज का किला’।
धर्मेन्द्र कुमार सिंह, दरभंगा। बिहार में दरभंगा का लाल किला सिर्फ ईंट-पत्थर का नहीं, यहां इतिहास की एक अनकही कहानी समेटे हुए है। नववर्ष 2026 के मौके पर क्यों न करें एक अलग तरह की यात्रा जहां कभी राज था, अपनी सरकार चलती थी और राजा के सम्मान में उड़ान भरने के लिए अपनी एयर सर्विस भी थी। इस किले की दीवारें आज भी उस वैभव और शान की गवाही देती हैं, जो समय के साथ धुंधली जरूर हुई, लेकिन अपने रहस्य और आकर्षण में आज भी बरकरार है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
किले के भीतर बसती थी एक अलग दुनिया
दरभंगा राज का यह किला अपनी विशाल दीवारों और भव्य संरचना के लिए प्रसिद्ध है। मुख्य प्रवेश द्वार ‘सिंह द्वार’ आज भी इसकी मजबूती और शान को दर्शाता है। किले के परिसर में शाही आवास के साथ-साथ प्रशासनिक कार्यालय, मंदिर, अस्पताल और अन्य सुविधाएं मौजूद थीं, जो इसे अपने समय का एक पूर्ण शासकीय केंद्र बनाती थीं।
जब दरभंगा राज के पास थे निजी विमान
दरभंगा राज को आधुनिकता अपनाने वाले राजघरानों में गिना जाता है। महाराज कामेश्वर सिंह के समय निजी विमान सेवा की सुविधा थी, जिसके तहत कुछ विमान निजी यात्राओं और विशेष अवसरों पर उपयोग में लाए जाते थे। यह उस दौर में किसी भी भारतीय जमींदार परिवार के लिए असाधारण बात थी।
शिक्षा और उद्योग में भी योगदान
दरभंगा राज का योगदान केवल ऐश्वर्य तक सीमित नहीं था। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ( बीएचयू ) के निर्माण में इस राजघराने का आर्थिक सहयोग उल्लेखनीय रहा। इसके अलावा देश के औद्योगिक विकास में भी महाराज की भूमिका को इतिहास में सम्मान से देखा जाता है।
नए साल 2026 में क्यों जाएं
आज दरभंगा किला और परिसर में स्थित श्यामा माई मंदिर पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। नव वर्ष 2026 में यहां आकर पर्यटक ऐतिहासिक इमारत देख सकते हैं साथ मिथिला की उस विरासत को भी महसूस कर सकते हैं, जिसने एक समय देश के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। |