खाते में थे 89 हजार, साइबर ठगों ने लगाया 20.89 लाख का चूना  
 
  
 
  
 
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आपके खाते में रकम कम है और आप सोच रहे हैं साइबर ठग इससे ज्यादा क्या निकालेंगे। तो सावधान हो जाएं। साइबर ठग आपका मोबाइल हैक कर किसी बैंक से पर्सनल लोन निकाल सकते हैं और फिर उसे अपने खातों में ट्रांसफर कर मोटा चूना लगा सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
 
ऐसा ही एक मामला मध्य दिल्ली में सामने आया है। यहां साइबर ठगों ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का अधिकारी बताकर एक महिला को डिजिटल अरेस्ट किया और उसका मोबाइल हैक कर उसके नाम से 20 लाख का लोन लेकर रकम अपने खाते में ट्रांसफर कर ली।  
 
  
 
महिला के खाते में 89 हजार रुपये थे। ठगों ने इसे भी निकाल लिया। पुलिस ने इस मामले में पांच साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान लोकेश गुप्ता, मनोज कुमार चौधरी, मोहित जैन उर्फ रिंकू, केशव कुमार और सैफ अली के रूप में हुई है।  
 
जांच में पता चला है कि आरोपित देशभर में हजारों लोगों के साथ ठगी कर चुके हैं। जालसाज फर्जी कंपनियां बनाकर उनके नाम से करंट बैंक अकाउंट खोलते थे। इन बैंक खातों में ठगी की रकम को ठिकाने लगाया जाता था। बदले में इनको मोटा कमीशन मिलता था।  
 
  
 
शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज शिकायतों में 473 इनके गिरोह से लिंक हुई है। इनमें इस वर्ष 24 शिकायतें दिल्ली की शामिल हैं। पुलिस ने आरोपितों के पास से 14 मोबाइल फोन, 40 चेकबुक, 33 सिमकार्ड, 15 कंपनी की स्टैंप, 19 डेबिट कार्ड, 14 पैन कार्ड, एक एमजी हैक्टर कार व अन्य सामान बरामद किया है।  
 
मध्य जिला पुलिस उपायुक्त निधिन वल्सन के मुताबिक, एक महिला ने ठगी की शिकायत साइबर थाना पुलिस थाने में दर्ज कराते हुए बताया था कि कुछ लोगों ने उसे डिजिटल अरेस्ट कर 20 लाख से अधिक की ठगी कर ली है। पीड़िता ने बताया कि उसके पास एक अज्ञात नंबर से काल आई।  
 
  
 
कॉलर ने खुद को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का पुलिस उपायुक्त के रूप में पेश किया और बताया कि उनके आधार कार्ड को नशे का धंधा करने वालों ने इस्तेमाल किया है। इस वजह से उनको कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होगा।  
 
इसके बाद आरोपितों ने पीड़िता को स्काइप-आइडी के जरिए एक वीडियो काल करवाई। उसमें आरोपितों ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की फर्जी आइडी भी दिखाई। बाद में जांच के नाम पर पीड़ित के बैंक खाते की पूरी डिटेल, ओटीपी तक ले लिया गया। साइबर थाने में मामला दर्ज करने के बाद इंस्पेक्टर संदीप पंवार व अन्यों की टीम ने पड़ताल शुरू की।  
 
  
 
टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पुलिस ने दिल्ली, हापुड़ और ग्रेटर नोएडा में छापेमारी की। सबसे पहले टीम ने 23 सितंबर को मुकुंदपुर दिल्ली से लोकेश गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। इसने अजय कुमार के साथ मिलकर मंगल पांडेय नगर, मेरठ में दो फर्जी कंपनी बनाई हुई थीं।  
 
दोनों खुद को कंपनी का निदेशक बताते थे। पूछताछ के दौरान लोकेश ने बताया कि उसने कंपनी के बैंक खातों का नियंत्रण दीपक गोयल व मनोज चौधरी को दे दिया था। पुलिस ने लोकेश की निशानदेही पर मनोज चौधरी को 25 सितंबर को हापुड़ से गिरफ्तार कर लिया।  
 
  
 
बाद में पुलिस ने मनोज से पूछताछ के बाद मोहित जैन व केशव कुमार को गौर सिटी माल, ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया। इसके बाद पांचवें आरोपी सैफ अली को मोहित की निशानदेही पर शाहदरा से गिरफ्तार किया गया। छानबीन के दौरान गिरोह के सरगना मोहित जैन ने बताया कि वह पूरे भारत में चल रही डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी के गिरोह से जुड़ा है।  
ठगी के मामले में भगोड़ा घोषित है माेहित  
 
आरोपित मोहित व केशव कुमार की पुलिस को नई दिल्ली में ठगी के मामले में तलाश थी। मोहित के खिलाफ पहले भी ठगी के कई मामले दर्ज हैं और वह साइबर ठगी के मामले में अदालत द्वारा भगोड़ा घोषित है। पुलिस इनसे पूछताछ कर इनके बाकी साथियों की तलाश कर रही है। |