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Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, पढ़ें ये आरती, जानें भोग से लेकर सबकुछ

Chikheang 2025-12-30 11:57:09 views 48
  

Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी पूजा विधि।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज पौष महीने के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्रत न केवल संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है, बल्कि संतान के जीवन में आने वाले सभी संकटों को दूर करने और उनकी उन्नति के लिए भी किया जाता है। अगर आप इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं, तो आइए इस पावन तिथि (Putrada Ekadashi 2025) से जुड़ी सभी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं - विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
पुत्रदा एकादशी पूजन विधि (Putrada Ekadashi 2025 Puja Rituals)

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े धारण करें।
  • हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें।
  • घर के मंदिर में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु या लड्डू गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें।
  • भगवान का दूध, दही, घी, शहद और से अभिषेक कराएं।
  • इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराकर पीले चंदन का तिलक लगाएं।
  • श्री हरि को पीले फूल, ऋतु फल, पीली मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें।
  • ध्यान रखें, बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते।
  • \“पुत्रदा एकादशी\“ की व्रत कथा पढ़ें या सुनें, क्योंकि कथा के बिना एकादशी का फल अधूरा माना जाता है।
  • श्री हरि के मंत्रों का जप करें।
  • अंत में आरती करें।
  • श्री हरि के प्रिय फूल - कमल, पारिजात, मालती, केवड़ा, चंपा, गुलाब, मोगरा, कनेर और गेंदे के फूल आदि।

भगवान विष्णु के प्रिय भोग (Putrada Ekadashi 2025 Bhog List)

  • पंचामृत और पंजीरी - धनिया की पंजीरी या भुने हुए आटे की पंजीरी का भोग लगाएं। साथ ही भोग में पंचामृत भी शामिल करें।
  • पीली मिठाई - बेसन के लड्डू, केसर की खीर या पीले फल चढ़ाएं।
  • मिश्री-माखन - अगर आप बाल गोपाल की पूजा कर रहे हैं, तो उन्हें माखन और मिश्री का भोग लगाएं।

क्या करें और क्या न करें? (Putrada Ekadashi 2025 Dos And Donts)

  • इस दिन घर में चावल बनाना और खाना पूरी तरह वर्जित है।
  • इस दिन पीले अनाज या गरम कपड़ों का दान करने से पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
  • अगर हो पाए तो इस तिथि की रात को भगवान विष्णु के नामों का भजन-कीर्तन करें।

।।भगवान विष्णु की आरती।।

ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे...

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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