LHC0088 • 2025-12-30 10:27:08 • views 116
जागरण संवाददाता, नोएडा। लंबे समय तक माेबाइल व टीवी स्क्रीन देखने और नियमित व्यायाम न करने से पेट में होने वाली कब्ज की दिक्कत अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गई है बल्कि बच्चे, युवा और महिलाओं में बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वाद-स्वाद में खराब खाना खाने से लोगों के पेट में कब्ज के कारण बड़ा खतरा बन रहा है। चिकित्सकों ने कब्ज जागरूकता माह के तहत शहर के लोगों को एक बार फिर चेताया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
यथार्थ अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलाजिस्ट डॉ. नवीन कुमार बताते हैं कि अक्सर लोग पेट कब्ज को मामूली समस्या मानकर नजरअंदाज करते हैं, लेकिन शहरों में बदलती जीवनशैली के साथ स्वास्थ्य समस्या तेजी से गंभीर चुनौती बन रही है। बीमारी केवल बुजुर्गों तक नहीं रही गई बल्कि युवा, महिलाएं और बच्चे भी शिकार हो रहे हैं।
ओपीडी में 20 से 25 प्रतिशत मरीज कब्ज या आंतों से जुड़ी समस्याओं के पहुंच रहे हैं। इनमें 20 से 40 वर्ष के युवाओं के कुल मामले करीब 35 से 40 प्रतिशत तक हैं। उन्हें लंबे समय तक बैठकर काम करना, अनियमित भोजन, बाहर का खाना और खुद से जुलाब लेना समस्या को और बढ़ा रहा है। कहा कि, लंबे समय तक जुलाब का इस्तेमाल आंतों की प्राकृतिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है।
नोएडा फोर्टिस अस्पताल के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलाजिस्ट डॉ. शिवम कालिया बताते हैं कि बीते छह महीनों में ओपीडी में 35 से 42 प्रतिशत मरीजों में कब्ज या इससे जुड़ी शिकायतें देख चुके हैं। उनमें कम फाइबर वाला भोजन, पहले से तैयार और प्रोसेस्ड खाना, कम पानी पीना, कसरत की कमी, लगातार तनाव और खराब नींद इसके प्रमुख कारण हैं।
आज युवाओं में काम और तनाव से जुड़ी कब्ज तेजी से बढ़ रहा है। बच्चों में स्क्रीन टाइम, गलत खानपान और टायलेट जाना टालने की आदत इसकी बड़ी वजह बन रही है। विशेषज्ञों ने सलाह दी कि रोजाना फल, सब्जियां और साबुत अनाज से भरपूर भोजन, पर्याप्त पानी, नियमित 20 मिनट की हल्की कसरत, जरूरी समय पर शौच जाने की आदत और स्क्रीन टाइम कम करना कब्ज को खत्म कर सकता है। |
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