लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की सेमेस्टर परीक्षाएं 1 जनवरी को समाप्त हो रही हैं, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2 जनवरी से ही अगले शैक्षणिक सत्र की कक्षाएं शुरू करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में डीयू प्रशासन की ओर से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। परीक्षा समाप्त होते ही अगले ही दिन कॉलेज बुलाए जाने के फैसले को लेकर छात्रों में नाराजगी और मानसिक परेशानी साफ तौर पर देखी जा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
छात्रों का कहना है कि पिछले एक महीने से वे लगातार परीक्षाओं की तैयारी में जुटे थे। इस दौरान न केवल सामाजिक गतिविधियां सीमित रहीं, बल्कि कई छात्रों ने रात-रात भर जागकर पढ़ाई की। ऐसे में बिना किसी अंतराल के कक्षाएं शुरू करना छात्रों पर अतिरिक्त मानसिक दबाव डालने जैसा है।
छात्रों का आरोप है कि डीयू प्रशासन इस फैसले के जरिए उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की अनदेखी कर रहा है। इस मुद्दे पर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के उपाध्यक्ष राहुल यादव झांसला ने कहा कि डीयूसीसी और एडमिशन ब्रांच के बीच आपसी सहमति न बनने के कारण छात्रों को एडमिट कार्ड और एनरोलमेंट नंबर देर से मिले।
10 दिन का अवकाश देने की मांग
इसी वजह से कुछ परीक्षाएं अस्थायी रूप से स्थगित भी करनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि पहले ही प्रशासनिक अव्यवस्था के कारण छात्र परेशान रहे और अब बिना गैप के कक्षाएं शुरू करना चिंता का विषय है। डीयू प्रशासन को इस पर जल्द निर्णय लेना चाहिए।
वहीं, अरबिंदो कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर हंसराज सुमन ने भी इस निर्णय को छात्रों के साथ नाइंसाफी बताया। उन्होंने कहा कि छात्रों को कम से कम 10 दिन का अवकाश दिया जाना चाहिए, ताकि वे मानसिक रूप से तरोताजा होकर दोबारा पढ़ाई शुरू कर सकें और अपने परिवार के साथ समय बिता सकें।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र अन्य राज्यों से आते हैं और वे पीजी या किराये के मकानों में रहते हैं। परीक्षा समाप्त होने के बाद का समय ही ऐसा होता है, जब छात्र अपने घर जाकर परिवार से मिल पाते हैं। कई छात्र लंबे समय से घर नहीं जा सके हैं, जिससे उनका मानसिक तनाव और बढ़ गया है। ऐसे में छात्रों और शिक्षकों की मांग है कि डीयू प्रशासन अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और छात्रों को उचित अवकाश प्रदान करे। |