बिहार चुनाव नीतीश तेजस्वी और किशोर के लिए अग्निपरीक्षा (फाइल फोटो)  
 
  
 
  
 
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हैं। इस बार राजनीतिक मैदान में तीन बड़े चेहरे हैं जिन पर सबकी नजर टिकी है, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर। इन तीनों नेताओं के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा जैसा है। उनके प्रदर्शन से न केवल उनकी सियासी स्थिति तय होगी, बल्कि बिहार की राजनीति की नई दिशा भी निकल सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें  
नीतीश के लिए अग्निपरीक्षा  
 
74 वर्षीय नीतीश कुमार करीब 20 साल से बिहार की सत्ता में हैं। एक समय उन्हें विकास और सुशासन के लिए \“सुशासन बाबू\“ कहा जाता था, लेकिन अब वे अपनी बार-बार बदलती राजनीतिक साझेदारियों की वजह से ज्यादा चर्चा में हैं।  
 
  
 
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और उनकी तबीयत को लेकर उठे सवालों ने लोगों के मन में शंका पैदा की है कि क्या नीतीश अब भी मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल पाएंगे? फिलहाल बीजेपी ने उन्हें ही गठबंधन का चेहरा बनाया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेगें, या फिर यह चुनाव उनके लंबे राजनीतिक करियर का अखिरी पड़ाव साबित होगा?  
यंग तेजस्वी क्या कर पाएंगे कमाल?  
 
35 वर्षीय तेजस्वी यादव आरजेडी संस्थापक लालू प्रसाद यादव के बेटे हैं। 2020 के चुनाव में RJD ने 144 में से 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। हालांकि, कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के कारण तेजस्वी सरकार नहीं बना सके। पिछले कुछ सालों में उन्होंने अकेले ही पार्टी की कमान संभाली है, क्योंकि उनके पिता लालू यादव बीमार चल रहे हैं।  
 
  
 
लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजे न आने के बाद तेजस्वी ने जमीन पर उतरकर काम तेज कर दिया। उन्होंने राहुल गांधी की \“वोटर अधिकार यात्रा\“ में हिस्सा लिया और खुद की बिहार अधिकार यात्रा निकाली। अब वे भाजपा-जदयू गठबंधन के मजबूत चुनाव अभियान के सामने हैं और उन्हें बड़ा प्रदर्शन करना होगा ताकि आरजेडी सत्ता के करीब पहुंच सके।  
प्रशांत किशोर की पहली बड़ी परीक्षा  
 
चुनावी रणनीतिकार के तौर पर कई बड़ी पार्टियों के लिए काम कर चुके प्रशांत किशोर अब खुद चुनावी मैदान में हैं। उन्होंने पिछले साल अपनी पार्टी जन सुराज पार्टी बनाई और इस बार पहली बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। प्रशांत किशोर ने 2022 में बिहार के कोने-कोने तक जन सुराज यात्रा निकाली और दावा किया कि उन्हें लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला है।  
 
  
 
हालांकि, मुख्यधारा के राजनीतिक दल उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और इसे एक \“फ्लॉप शो\“ बताने में लगे हैं। कई लोग उनकी तुलना अरविंद केजरीवाल से करते हैं, जबकि कुछ कहते हैं कि वे सिर्फ पुराने नेताओं पर आरोप लगाकर सुर्खियां बटोर रहे हैं।  
चुनावी नतीजों से तय होगा सत्ता  
 
इन तीनों नेताओं की राह आसान नहीं है। नीतीश कुमार के लिए यह सम्मान बचाने की लड़ाई है, तेजस्वी यादव के लिए भविष्य की परीक्षा है और प्रशांत किशोर के लिए यह पहली बड़ी परीक्षा है। चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि बिहार में पुराना नेतृत्व कायम रहता है या एक नया राजनीतिक चेहरा उभरता है।  
 
  
 
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