विनय त्यागी की फाइल फोटो।
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण हरिद्वार : अपराध की अंधेरी दुनिया में विनय त्यागी का नाम कोई नया नहीं था। लेकिन, जिस अंदाज में पुलिस वाहन पर अंधाधुंध फायरिंग कर उसे गोली मारी गई, उसने इस वारदात को महज एक आपराधिक घटना से कहीं आगे खड़ा कर दिया है। अब सवाल सिर्फ इतना नहीं है कि किसने गोली चलाई, बल्कि यह भी है कि क्यों चलाई गई। क्या विनय त्यागी को किसी गहरे और खतरनाक राज का बोझ ढोने से पहले ही ‘खामोश’ कर दिया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सूत्रों के मुताबिक, विनय त्यागी का आपराधिक सफर कई संगठित गिरोहों से जुड़ा रहा है। महज 16 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले विनय त्यागी ने बदन सिंह बद्दो गिरोह से जुड़कर अजय जडेजा गैंग के शूटर प्रवीण शर्मा और राजीव टिर्री, अरोड़ा बेकरी के मालिक, केबल कारोबारी व अधिवक्ता शरद पाल की हत्याओं में शामिल रहा है।
इसके अलावा अन्य कई हत्या, रंगदारी, जमीन विवाद और अवैध वसूली जैसे 60 से अधिक मामलों में उसका नाम लंबे समय से सामने आता रहा है। बताया जा रहा है कि विनय त्यागी केवल एक मोहरा नहीं, बल्कि कई बड़े अपराध नेटवर्क की कड़ी भी था।
यही वजह है कि उसकी जानकारी किसी बड़े गिरोह या सफेदपोश संरक्षणकर्ताओं के लिए खतरे की घंटी बन सकती थी। चर्चाओं में यह भी सवाल है कि क्या विनय के पास कुछ ऐसे राज थे, जो सामने आते तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते थे।
आशंका जताई जा रही है कि विनय त्यागी किसी पुराने मामले में बयान देने वाला था या फिर किसी बड़े नेटवर्क के विरुद्ध खुलासे की स्थिति में आ गया था। घटना के तरीके ने भी संदेह को और गहराया है।
हमलावारों की तैयारी, पुलिस सुरक्षा में बंदी विनय त्यागी पर सटीक हमला और फिर हमलावरों का मौके से भाग जाने पर भी सवाल उठे हैं। विनय त्यागी की मौत के बाद कथित रूप से पुलिस एक बड़े अपराध युग के अंत की उपलब्धि बता रहे हैं।
तो उत्तराखंड में भी अपराध के अंत के लिए ये तरीका अपनाया जा रहा है। खैर, जो भी हो, लेकिन इस घटनाक्रम में शुरू से लेकर अंत तक सवाल तो पुलिस की सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर ही उठता है।
विनय
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