देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के 51 कार्टन पेपर्स पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच नया विवाद छिड़ गया है। यह विवाद सोमवार को भाजपा सांसद संबित पात्रा के लोकसभा में पूछ गए प्रश्न के बाद शुरू हुआ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ओडिशा के पुरी से सांसद ने संस्कृति मंत्रालय से पत्र लिखकर पूछा, “क्या संग्रहालय से भारत के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित कुछ दस्तावेज गायब पाए गए हैं और क्या इन्हें अवैध रूप से हटाया गया है।“
मंत्रालय की ओर से जवाब में कहा गया है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री से संबंधित कोई भी दस्तावेज लापता नहीं पाया गया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को खुशी जताते हुए कहा कि आखिरकार सच्चाई सामने आ ही गई। और साथ ही उन्होंने सवाल और उसके जवाब के स्क्रीनशॉट भी शेयर किए और \“पूछा क्या माफी मांगी जाएगी?\“
The truth was finally revealed in the Lok Sabha yesterday. Will there be an apology forthcoming? pic.twitter.com/lRNoT4Ns6X — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 16, 2025
लापता नहीं हैं नेहरू से जुड़े पेपर्स- शेखावत
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर विस्तृत जवाब दिया है। उन्होंने लिखा कि नेहरू से पेपर्स PMML से “लापता“ नहीं हैं। “लापता“ का मतलब है कि वे कहाँ हैं, यह पता नहीं है। असल में, जवाहरलाल नेहरू के 51 कार्टन पेपर्स 2008 में परिवार ने प्राइम मिनिस्टर्स म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (तब NMML) से औपचारिक रूप से वापस ले लिए थे। उनकी जगह पता है। इसलिए, वे “लापता नहीं“ हैं।
पीएमएमएल के अनुसार, 2008 में नेहरू परिवार ने 51 कार्टन नेहरू पेपर्स वापस लिए थे, जिनकी जानकारी और कैटलॉग पीएमएमएल के पास है। अब पीएमएमएल ने सोनिया गांधी से इन पेपर्स की वापसी की मांग की है, लेकिन परिवार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है।
Nehru Papers are not “missing” from PMML.
“Missing” entails that the whereabouts are unknown.
In reality, 51 cartons of Jawaharlal Nehru papers were formally taken back by the family in 2008 from Prime Ministers Museum and Library (then NMML). Their location is known. Hence, they… — Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) December 17, 2025
सोनिया गांधी से जवाब की मांग
इस मामले पर सोनिया गांधी से जवाब की मांग की जा रही है। लोगों का कहना है कि ये पेपर्स देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़े हैं और ये राष्ट्रीय महत्व के हैं। इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में होना चाहिए, न कि परिवार के पास। यह कोई साधारण मामला नहीं है। इतिहास को चुनिंदा तरीके से नहीं दिखाया जा सकता। पारदर्शिता लोकतंत्र की नींव है और अभिलेखीय खुलापन इसका नैतिक दायित्व है जिसे सोनिया गांधी और गांधी परिवार को बनाए रखना चाहिए।
पेपर्स को सार्वजनिक करने की मांग
इस मामले पर तर्क दिया जा रहा है कि ये पेपर्स नेहरू के जीवन और समय को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में होना चाहिए ताकि शोधकर्ता और नागरिक इन तक पहुंच सकें। सोनिया गांधी के जवाब नहीं देने पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों ये पेपर्स वापस नहीं किए जा रहे हैं। |