फाइल फाेटो।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। अब गांवों में केवल बीमारी का इलाज ही नहीं होगा, बल्कि ग्रामीणों की आय बढ़ाने का सशक्त रास्ता भी खुलेगा। आयुष पद्धति स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का प्रभावी माध्यम बनती जा रही है। इसी दिशा में पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला, पोटका, पटमदा और बहरागोड़ा प्रखंडों के तीन-तीन गांवों को पहले चरण में आयुष ग्राम मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। इस पहल से जिले के कुल 12 गांव सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। आयुष ग्राम मॉडल की शुरुआत घाटशिला प्रखंड के काराडूबा, कशीदा और कालीमाटी गांवों में आयोजित विशेष आयुष ग्राम कैंप से हुई।
शिविर में ग्रामीणों का हुआ फ्री इलाज इस कैंप में कुल 374 ग्रामीणों का निःशुल्क इलाज किया गया। ग्रामीणों को आयुष पद्धति के अंतर्गत प्राणायाम, योगासन और स्वस्थ दिनचर्या अपनाने के व्यावहारिक तरीके भी सिखाए गए। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में ही इलाज की सुविधा मिलने से उनके इलाज पर होने वाला खर्च 50 से 70 प्रतिशत तक कम हो गया है। इस आयुष ग्राम कैंप की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि ग्रामीणों को केवल इलाज तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि उन्हें औषधीय खेती के माध्यम से आय बढ़ाने का ठोस और व्यावहारिक मार्ग भी दिखाया गया। विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा, एलोवेरा और कालमेघ जैसे औषधीय पौधों की खेती के लाभ बताए। उन्होंने बताया कि इन पौधों की देश और विदेश में भारी मांग है।
सरकारी सब्सिडी से बढ़ा किसानों का भरोसा पारंपरिक खेती की तुलना में औषधीय खेती से एक एकड़ भूमि पर सालाना 1.5 लाख से 3 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है। औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किसानों को आकर्षक सब्सिडी भी दी जा रही है। यह खेती बेकार पड़ी जमीन पर भी संभव है, जिससे किसानों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं। तीन वर्ष में तैयार होने वाली फसल पर 30 प्रतिशत, पांच वर्ष में तैयार होने वाली फसल पर 40 प्रतिशत और पांच वर्ष से अधिक समय में तैयार होने वाली फसल पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है।
देशभर में तेजी से फैल रहा आयुष ग्राम मॉडल इससे किसानों का जोखिम काफी हद तक कम हो रहा है और वे भरोसे के साथ इस नई खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मुकुल दीक्षित ने बताया कि देश के 20 से अधिक राज्यों में आयुष ग्राम योजना लागू हो चुकी है और 10 हजार से ज्यादा गांव इससे जुड़ चुके हैं। पूर्वी सिंहभूम जिले में भी घाटशिला, पोटका, पटमदा और बहरागोड़ा क्षेत्रों में लगातार विशेष आयुष कैंप लगाए जा रहे हैं। पहले चरण में जिले के चारों प्रखंडों के 12 गांवों को आयुष ग्राम के रूप में विकसित किया जाएगा।
औषधीय पौधों का बढ़ता बाजार नेशनल बोर्ड ऑफ मेडिसिनल प्लांट्स के अनुसार वर्ष 2019 में औषधीय पौधों का बाजार 400 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2026 तक बढ़कर 1400 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है। वर्तमान में हर्बल दवाओं के उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है, जबकि भारत की मात्र 7 प्रतिशत। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आयुष ग्राम मॉडल सफल रहा, तो भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक बड़ी ताकत बन सकता है।
सरकार की यह योजना काफी अच्छी है। घर बैठे और बंजर भूमि पर भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। अच्छी बात यह है कि इसमें सब्सिडी भी मिल रही है। ऐसे में सभी को इसे अपनाना चाहिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें -
डॉ. मुकुल दीक्षित, जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी |