फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में है। उसके रोकथाम के उपायों के तहत दिल्ली सरकार के आदेश के बाद 18 दिसंबर से पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) पूरी किए बिना वाहनों को पेट्रो पदार्थ नहीं मिलेगा। वायु प्रदूषण का बड़ा कारण वाहनों से निकलते जहरीले धुंए भी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
एक आंकड़े के अनुसार, दिल्ली में चलते वाहनों में मात्र 25 प्रतिशत के पास ही वैध पीयूसीसी है। मंगलवार दोपहर बाद सरकार की ओर से यह आदेश आया तो आनन-फानन में पंपों के संगठन दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन (डीपीडीए) ने प्रबंध समिति की बैठक कर सभी पेट्रोल पंपों के लिए सर्कुलर भी जारी कर दिया।
ताकि समय रहते सभी पंप उसके लिए तैयार हो जाए। पर, सवाल इस मुहिम की सफलता तथा सुरक्षा के साथ सुविधा व्यवस्था को लेकर खड़ी हो गई है।
राजधानी में 400 से अधिक पेट्रोल पंप तो 250 से अधिक सीएनजी पंप
दिल्ली में 400 से अधिक पेट्रोल पंप तो 250 से अधिक सीएनजी पंप हैं, जहां वाहनों की लंबी कतारें पहले से लगी रहती है। ऐसे में जांच प्रक्रिया में कतारें और लंबी होगी तो वाहन मालिकों से बहस के साथ कानूनी माेर्चे पर संकट खड़ा होगा। इसलिए डीपीडीए ने तत्काल ही सभी पंपों पर पुलिस व यातायात पुलिस के साथ होमगार्ड्स लगाने का आग्रह किया है।
इसके पूर्व इसी वर्ष एक जुलाई को 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल तथा 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों को पेट्रो पदार्थ न देने का निर्णय किया था, जिसका काफी जन विरोध होने पर सरकार ने दो दिन बाद ही वह निर्णय वापस ले लिया था।
तब भी पंप संचालकों के अनुरोध पर हर पंप पर स्थानीय पुलिस व यातायात पुलिस के जवान तैनात किए गए थे।
पेट्रोल पंप कोई सक्षम कानूनी एजेंसी नहीं
डीपीडीए के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया के अनुसार, पेट्रोल पंप कोई सक्षम कानूनी एजेंसी नहीं हैं। ऐसे में \“बिना पीयूसीसी, तेल नहीं\“ नियम को लागू करने के लिए किसी सक्षम अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए, जिसके पास कानूनी अधिकार है। पेट्रोल पंप के कर्मचारियों द्वारा इस नियम को लागू करने की कोई भी कोशिश कानून-व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा कर सकती है, इसलिए यातायात पुलिस की तैनाती आवश्यक है।
वैसे, पीयूसीसी वाले अभियान में उस वक्त लगे सीसीटीवी के इस्तेमाल की भी बात कही गई है, जिसमें वाहन नंबरों के आधार पर पीयूसीसी की पहचान हो जाएगी। पंप संचालक चाहते हैं कि उसे देखने का अधिकार उन्हें भी मिले। साथ ही उनकी बड़ी चिंता अभियान का असर वायु प्रदूषण में सुधार दिखने को लेकर है।
वायु प्रदूषण का कोई भौगोलिक बार्डर नहीं
सिंघानिया कहते हैं कि वायु प्रदूषण का कोई भौगोलिक बार्डर नहीं है। दिल्ली में सख्ती होगी तो सटे शहरों की ओर वाहन चालक जाएंगे। यह उन लोगों के कारोबार को ही कम करेगा। तब दिल्ली वालों को भी इसका फायदा होता नहीं दिखेगा। ऐसे में जरूरी है कि नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम व फरीदाबाद समेत अन्य शहरों में भी पंपों पर पीयूसीसी को अनिवार्य किया जाए। |