कांग्रेस नेता सूरजेवाला की बैलेट पेपर वाली बात पर BJP ने किया पलटवार (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में चुनाव सुधार पर सोमवार को भी सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। सत्ता पक्ष जहां विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते दिखा, वहीं उन पर दोहरे मापदंड का भी आरोप लगाया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विपक्ष की ओर से चुनावी गड़बडि़यों, एसआइआर के औचित्य आदि का मुद्दा उठाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की गई। चर्चा में कांग्रेस नेता रणजीत सिंह सुरजेवाला ने हिस्सा लिया और केंद्र सरकार से सवाल किया कि अगर जनता आपके साथ है तो बैलेट पेपर से चुनाव कराने में दिक्कत क्या है? अगर आपके पास जनसमर्थन है तो आपको बैलेट चुनाव से डरना नहीं चाहिए।
चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की भी मांग की। चुनाव आयोग को लोकतंत्र की आत्मा बताया और कहा अगर उसकी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी तो लोकतंत्र टिक नहीं सकता। चर्चा में हिस्सा लेते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष पर चुनावों को लेकर दोहरा रवैया रखने का आरोप लगाया और कहा जब हिमाचल, कर्नाटक, पंजाब व झारखंड में जीते तो ईवीएम ठीक थी, वहीं महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार में हारे गए तो ईवीएम व चुनाव आयोग खराब हो गया।
दिग्विजय सिंह का SIR पर सवाल
उन्होंने कहा कि चुनाव में जनता किसी दल को उसके नेता, नीति और नीयत के आधार पर वोट देती है। जो विपक्ष के पास नहीं है। चर्चा में विपक्ष की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजिय ¨सह ने भी हिस्सा लिया और राजनीतिक पार्टियों से दल-बदल करने वाले सांसदों पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की।
कांग्रेस की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसकी समिति में पीएम, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को रखा जाए। दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब हर साल मतदाता सूची का पुनरीक्षण होता है तो एसआइआर का क्या औचित्य है।
चर्चा में सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने भी हिस्सा लिया और कहा कि चुनाव सुधारों की पहल सबसे अधिक भाजपा के समय हुई है। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का काम भी मोदी सरकार ने ही किया है।
भाजपा सांसद का कांग्रेस पर निशाना
उन्होंने कहा कि देश में जब वोटर कार्ड नहीं होता था तब कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है। निश्चित ही वह चुनाव में सदैव गड़बड़ी करके ही जीतती रही होगी। कैसे-कैसे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति उस समय की गई यह भी किसी से छुपा नहीं है। चर्चा में निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने भी हिस्सा लिया और कहा चुनाव सुधार तो किए गए लेकिन इसके पीछे गड़बडि़यां भी सबसे ज्यादा इसी सरकार ने की। चर्चा में मनोनीत सांसद हर्ष वर्धन सिंगला ने भी हिस्ला लिया।
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