बायोप्सी में देरी करना पड़ सकता है भारी (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब भी किसी मरीज को शरीर में कोई गांठ महसूस होती है, तो डॉक्टर सबसे पहले \“बायोप्सी\“ कराने की सलाह देते हैं, लेकिन यह शब्द सुनते ही कई मरीज और उनके परिवार वाले डर से कांपने लगते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जी हां, हमारे समाज में एक बहुत बड़ा डर फैला हुआ है कि “अगर गांठ में सुई लग गई या छेड़छाड़ की गई, तो कैंसर पूरे शरीर में आग की तरह फैल जाएगा।“
क्या यह सच है? या यह सिर्फ एक वहम है जिसके कारण हम अपनी जान को और बड़े खतरे में डाल रहे हैं? आइए जानते हैं सीनियर ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. आंचल अग्रवाल इस बारे में क्या कहती हैं। View this post on Instagram
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डॉक्टर्स बायोप्सी क्यों करते हैं?
सच्चाई यह है कि बायोप्सी से कैंसर नहीं फैलता। बल्कि, यह कैंसर का सही पता लगाने और उसका सही इलाज शुरू करने में मदद करती है। डॉक्टर आंचल कहती हैं कि जरा सोचिए, अगर बायोप्सी से सच में कैंसर फैलता, तो क्या हम जैसे ऑन्कोलॉजिस्ट कभी आपको इसे कराने की सलाह देते? डॉक्टर का काम मरीज को बचाना है, उसे खतरे में डालना नहीं। इसलिए, इस बात पर भरोसा रखें कि यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित और जरूरी है।
देरी करना पड़ सकता है भारी
अक्सर लोग बायोप्सी के डर से जांच को टालते रहते हैं, लेकिन जब आप बायोप्सी में देरी करते हैं, तो कैंसर रुकता नहीं है, बल्कि वह आपके शरीर में चुपचाप बढ़ता रहता है। असल में, यही देरी सबसे बड़ी दुश्मन है। बायोप्सी न कराने के कारण अक्सर कैंसर \“एडवांस स्टेज\“ तक पहुंच जाता है। तब तक बीमारी इतनी बढ़ चुकी होती है कि मरीज की तकलीफ कई गुना बढ़ जाती है और इलाज मुश्किल हो जाता है।
डरें नहीं, जांच कराएं
अगर आपके परिवार में किसी को बायोप्सी कराने की सलाह दी गई है, तो बिना किसी डर के इसे कराएं। याद रखें, बायोप्सी कराने से नुकसान नहीं होता, लेकिन बायोप्सी न कराना आपकी तकलीफ बढ़ा सकता है। सही समय पर सही जांच ही कैंसर से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।
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