अमृतसर के पुतलीघर स्थित द सीनियर स्टडी-2 स्कूल के बाहर का दृश्य। (फोटो- राघव)
जागरण संवाददाता, अमृतसर । पंजाब के अमृतसर के 8 स्कूलों शुक्रवार सुबह 8.33 बजे बम से उड़ाने की धमकी वाली ईमेल भेजी गई। लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक आरोपियों व ई-मेल भेजने वालों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। भेजने वालों ने भी अटोमिक मेल को चुना, जो ट्रैकिंग सेवा प्रदान ही नहीं करती। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
शुक्रवार पैदा हुई अफरा-तफरी आज शांत है। आज स्कूलों में हालात सामान्य हैं। दूसरा शनिवार होने के कारण आज सभी स्कूलों में छुट्टी घोषित है। जिसके चलते स्कूलों के आज कोई गतिविधि स्कूलों में देखने को नहीं मिल रही। लेकिन दूसरी तरफ पंजाब पुलिस लगातार अपनी कोशिशों में जुटी हुई है।
पंजाब पुलिस ई-मेल में भेजी गई सामग्री के चलते इसे गंभीरता से ले रही है। पंजाब पुलिस अधिकारियों का कहना है कि स्टेट साइबर सेल ईमेल का सोर्स खोजने की कोशिश में जुटा हुआ है। इसमें उनका साथ केंद्रीय एजेंसियां भी दे रही हैं। लेकिन, जिस मेल सर्विस से इस ईमेल को भेजा गया है, उसके नियम काफी कठिन है। जिसके चलते सोर्स तक पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं।
ई-मेल में खालिस्तान रेफरेंडम का जिक्र
ई-मेल का जिक्र करें तो ये तीन हिस्सों में बंटी हुई है। पहले में जहां शुक्रवार 1.11 बजे अमृतसर के 3 स्कूलों में एक-एक कर उड़ाने की बात कही गई है।
वहीं अन्य हिस्से में खालिस्तान मूवमेंट का जिक्र है। ईमेल में साफ कहा गया है कि पंजाब पुलिस जिस तरह खलिस्तान समर्थकों का एनकाउंटर कर रही है, ये उसी का बदला है।
जबकि तीसरे हिस्से में खालिस्तान मूवमेंट पर सवाल उठाया गया है कि पंजाब को क्या भारत से अलग होकर खालिस्तान बनाया जाना चाहिए। यही कारण है कि पंजाब पुलिस इस ईमेल को गंभीरता से ले रही है ताकि पंजाब में बीते कुछ समय से बढ़ रही आतंकी गतिविधियों को पहले ही रोका जा सके।
अब जानें क्यों सिर दर्द बन रही ये मेल
अटोमिक मेल की बात करें तो इसका कार्यालय एस्टोनिया में स्थित है, जो यूरोपीय संघ का सदस्य देश है। ये मेल जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के लिए जानी जाती है। यानीकि, ये मेल बिना ट्रैकिंग के ईमेल सेवा प्रदान करती है क्योंकि यह सख्त डेटा मिनिमाइजेशन पॉलिसी अपनाती है, जहां ईमेल स्कैन नहीं होते, यूजर व्यवहार ट्रैक नहीं किया जाता और डेटा कभी मोनेटाइज या बेचा नहीं जाता।
जीरो-नॉलेज आर्किटेक्चर का उपयोग होता है, जिससे कंपनी खुद यूजर के एन्क्रिप्टेड मैसेज नहीं पढ़ सकती क्योंकि एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन क्लाइंट-साइड पर ही होता है। नो-लॉग्स पॉलिसी सुनिश्चित करती है कि एक्टिविटी रिकॉर्ड न रखी जाए, और साइन-अप पर फोन नंबर या पर्सनल डेटा एकत्र नहीं किया जाता।
सीमित मेटा डेटा शेयर हो सकता है
सख्त नियमों के कारण डेटा मिनिमाइजेशन अनिवार्य है, जिससे कंपनी केवल आवश्यक आईपी (अपयूज रोकने के लिए) एकत्र करती है लेकिन ईमेल कंटेंट, ओपनिंग या क्लिक ट्रैक नहीं है। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन क्लाइंट-साइड रहता है, इसलिए सर्वर ट्रैकिंग असंभव है और थर्ड-पार्टी शेयरिंग प्रतिबंधित है।
कानूनी अनुरोध पर सीमित मेटाडेटा शेयर हो सकता है, लेकिन सामान्य उपयोगकर्ता के लिए कोई ट्रैकिंग नियम या टूल उपलब्ध नहीं, जो इसे प्राइवेसी-फोकस्ड बनाता है। |