मुस्लिम परिवार ने दावत के कार्ड पर लिखा हिंदू पूर्वज का नाम, सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर

cy520520 The day before yesterday 14:37 views 166
  

जौनपुर : केराकत क्षेत्र के डेहरी गांव निवासी नौशाद अहमद दूबे के भतीजे के विवाह का निमंत्रण पत्र। जागरण



जागरण संवाददाता, केराकत (जौनपुर)। डेहरी गांव में बहूभोज (दावते वलीमा) का निमंत्रण कार्ड को चर्चा ए खास हो गया है। इसमें मुस्लिम परिवार से संबंध रखने वाले नौशाद अहमद दूबे ने अपने हिंदू पूर्वज का नाम और आठवीं पीढ़ी का उल्लेख छपवाया है। तीन वर्ष पूर्व विशाल भारत संस्थान से जुड़ने के बाद नौशाद ने अपने नाम के आगे दूबे सरनेम लगाना शुरू किया था। पिछले वर्ष शादी के कार्ड पर भी उन्होंने यही सरनेम इस्तेमाल किया था, जिसके बाद वह चर्चा में आ गए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बहूभोज कार्ड पर लिखा है कि श्री लालबहादुर दूबे 1669 ईस्वी के जमींदार के आठवीं पीढ़ी के वंशज खालिद दूबे की शादी एवं बहूभोज के शुभ अवसर पर आप सभी आमंत्रित हैं। नौशाद अहमद दूबे ने बताया कि पूर्वजों के बारे में विस्तृत खोजबीन के दौरान उन्हें पता चला कि उनके पुरखे लालबहादुर दूबे आजमगढ़ जिले के रानी की सराय क्षेत्र के रहने वाले थे। बाद में यहां आकर उन्होंने धर्म परिवर्तन किया और लाल मोहम्मद नाम से जमींदारी संभाली। नौशाद का कहना है कि अपनी जड़ों को सम्मान देने के लिए उन्होंने गांव की सड़क का नाम भी लालबहादुर दूबे मार्ग रखा है। सड़क पर लगा बोर्ड इसका प्रमाण है।

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी भेजा गया निमंत्रण पत्र
नौशाद अहमद दूबे ने बताया कि विशाल भारत संस्थान के माध्यम से बहूभोज का निमंत्रण प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित कई प्रमुख व्यक्तियों को भेजा गया है। उन्हें उम्मीद है कि आमंत्रित अतिथि कार्यक्रम में आकर वर-वधू को आशीर्वाद देंगे।

यह भी पढ़ें- यूपी में ट्रेन के आगे कूदा रेलकर्मी, सिर धड़ से अलग; जेब से मिले सुसाइड नोट से पता चली बड़ी वजह

करीब तीन दर्जन लोग लगा चुके हैं पूर्वजों का सरनेम

यह पहली बार नहीं है कि किसी मुस्लिम परिवार ने अपने पूर्वजों का हिंदू सरनेम अपनाया हो। नौशाद का कहना है कि लगभग तीन दर्जन लोग अपने नाम के आगे पूर्वजों के सरनेम लिखते हैं। उनका मानना है कि यह अपनी ऐतिहासिक जड़ों को पहचान देने का तरीका है और इससे गांव में सौहार्द, साझा संस्कृति और एकता की भावना भी मजबूत होती है।

आज है शादी, बहिष्कार से नहीं पड़ता फर्क
आजगमढ़ जिले के असाउर गांव में नौशाद के भतीजे खालिद दूबे की 13 दिसंबर को शादी है। खालिद के पिता अबूशाद कतर में होने की वजह से नहीं पहुंच सकेंगे। कुछ लोग हमारा बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।


अपने नाम के साथ दूबे सरनेम जोड़ना शुरू किया तो कुछ रिश्तेदारों ने विरोध जताया। कई ने तो रिश्तेदारी तक तोड़ ली। कुछ लोगों ने रिश्ते तय होने के बाद यह जानकर विवाह करने से इनकार भी किया। मैने अपने पूर्वजों का सरनेम अपनाया है, जबकि उनका इस्लाम धर्म में पूरा विश्वास है।
-

- नौशाद अहमद दूबे।


आपसी सौहार्द और सद्भाव बना रहे इसलिए हम लोग अपने पूर्वजों का सरनेम अपने नाम से जोड़ते हैं। इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
-

- शेख अब्दुल्ला दूबे।


हमारे पूर्वज शुक्ला थे। हमारे मित्र भी शुक्ला कहकर बुलाते हैं, लेकिन हम लोग अपने नाम के आगे इसे जोड़ते नहीं हैं।
-

- सेराज अहमद
like (0)
cy520520Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
cy520520

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
134847

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.