फोटो-सोशल
डिजिटल डेस्क, रोहतक। इंडिगो एयरलाइंस के संकट के दौरान देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए, जिससे कई परिवारों की योजनाएं पूरी तरह बिगड़ गईं। शादी, नौकरी के इंटरव्यू और परीक्षाओं जैसे अहम मौकों पर पहुंचना लोगों के लिए मुश्किल हो गया। ऐसी ही एक कहानी हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले राजनाथ पंघाल की है, जिन्हें अपने बेटे को परीक्षा से पहले स्कूल पहुंचाने के लिए लंबा सड़क सफर करना पड़ा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
राजनाथ पंघाल ने अपने बेटे के लिए 6 दिसंबर को शाम 5:35 बजे दिल्ली से इंदौर जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट बुक कराई थी। लेकिन जब वे एयरपोर्ट पहुंचे तो उन्हें पता चला कि फ्लाइट रद्द कर दी गई है। पंघाल के अनुसार, हम पूरी तरह असमंजस में थे। मेरे बेटे की प्री-बोर्ड परीक्षाएं आने वाली थीं और उसका समय पर स्कूल पहुंचना बेहद जरूरी था।
ऐसे में वैकल्पिक उड़ानें उपलब्ध नहीं थीं और परीक्षाएं 8 दिसंबर से शुरू होनी थीं, इसलिए पंघाल ने कार से इंदौर जाने का फैसला किया। उन्होंने रात भर ड्राइव की और करीब 800 किलोमीटर का सफर तय कर सुबह स्कूल पहुंचे। उन्होंने बताया कि रास्ते में सड़क निर्माण के कारण परेशानियां आईं, लेकिन फिर भी हम सुबह 7 बजे स्कूल पहुंच गए।
पंघाल का कहना है कि एयरलाइंस द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा सिर्फ टिकट के किराए तक सीमित नहीं होना चाहिए। उनके मुताबिक, संकट के समय बढ़े हुए हवाई किराए और यात्रियों के एयरपोर्ट आने-जाने में हुए अतिरिक्त खर्च की भी भरपाई की जानी चाहिए।
दरअसल, सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू करने की तैयारी न होने के कारण इंडिगो को इस महीने बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। 5 दिसंबर को रद्द उड़ानों की संख्या सबसे अधिक थी, जिसके बाद धीरे-धीरे इसमें कमी आई। एयरलाइन ने मंगलवार को कहा कि उसका परिचालन अब स्थिर हो चुका है और हालात सामान्य हो गए हैं। |