मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने किया माओवाद से मुक्त होने का एलान। (फाइल)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में माओवाद के खात्मे को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने खुद को ऑफिशियली मोओवाद-मुक्त घोषित कर दिया है। जिससे माओवादियों के उस गढ़ के पूरी तरह खत्म होने के संकेत मिलते हैं कभी सेंट्रल इंडिया पर हावी था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
डेडलाइन से कुछ महीने पहले किया गया ये एलान, माओवादियों के खिलाफ देश की दशकों पुरानी लड़ाई में अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि माओवाद, जो कभी लगभग 130 जिलों में फैला हुआ था, अब सिर्फ 11 जिलों तक सीमित है और गंभीर गतिविधियां सिर्फ तीन जिलों तक ही सीमित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि बड़ी संख्या में माओवादियों को मार गिराया गया है, गिरफ्तार किया गया है या उन्होंने सरेंडर कर दिया है और हिंसक आंदोलन की रीढ़ पहले ही टूट चुकी है।
माओवादी कमांडर माडवी हिडमा का खात्मा
30 नवंबर को माओवादी कमांडर माडवी हिडमा को मार गिराया गया, जो माओवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक मोड़ के तौर पर देखा गया। इस ऑपरेशन को माओवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की कामयाबी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और गृह मंत्री अमित शाह के गाइडेंस में राज्य ने समय से पहले माओवादी-मुक्त होने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी ऐसी ही बातें कहीं और बाकी माओवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए राज्यों के बीच मिलकर की जा रही कोशिशों पर जोर दिया।
छत्तीसगढ़ में बची हुई चुनौतियां
छत्तीसगढ़ अभी भी बची हुई चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन वहां हालात काफी बदल गए हैं। एक समय था जब बस्तर में 12,000 से ज्यादा हथियारबंद माओवादी काम करते थे। आज, कुछ ही स्क्वॉड बचे हैं और उन पर सुरक्षाबलों का लगातार दबाव है।
रेड टेरर का अंत
रेड कॉरिडोर, जिसे कभी भारत की सबसे बड़ी इंटरनल सिक्योरिटी चुनौती माना जाता था, अब इतिहास बनने की कगार पर है। बंदूकें काफी हद तक शांत हो गई हैं, कमांडर खत्म हो गए हैं या उन्होंने सरेंडर कर दिया है और जंगल एक नई कहानी सुनाने लगे हैं। जो डर और हिंसा की नहीं, बल्कि शांति और विकास की है। |