राज्यसभा में नहीं था कोई कैबिनेट मंत्री विपक्ष की आपत्ति पर करना पड़ा स्थगन (फाइल फोटो)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मुद्दों पर तकरार के कारण लोकसभा या राज्य सभा की कार्यवाही का स्थगित होना आम बात है, लेकिन शुक्रवार को कुछ ऐसा हुआ कि सत्ता पक्ष को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। राज्य सभा की कार्यवाही जब शुरू हुई तो उस वक्त एक भी कैबिनेट मंत्री वहां उपस्थित नहीं था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
विपक्ष ने इसे सदन का अपमान बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही कार्यवाही रोकने की मांग कर डाली। तब सभापति सीपी राधाकृष्णन को दस मिनट के कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हालांकि, उसके बाद आए संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने खेद जताने के साथ कारण भी स्पष्ट कर दिया कि वह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल के निधन पर लोकसभा में श्रद्धांजलि देने गए थे।
सभापति ने राज्य सभा की कार्यवाही के आरंभ में सबसे पहले संसद हमले की बरसी पर उस आतंकी हमले में बलिदान हुए सुरक्षाकर्मियों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे सदन ने मौन रखकर अपनी संवेदनाएं और भावनाएं व्यक्त कीं। इसके बाद जैसे ही सभापति ने कार्यवाही को आगे बढ़ाना चाहा, वैसे ही कांग्रेस सांसद जयराम रमेश खड़े हो गए और सवाल उठाया कि एक भी कैबिनेट मंत्री सदन में उपस्थित क्यों नहीं है?
कार्यवाही क्यों की गई स्थगित
इस आपत्ति को गंभीरता से लेते हुए सभापति ने आश्वस्त किया कि इस संबंध में वह सरकार से बात करेंगे, लेकिन जयराम इससे सहमत नहीं हुए। उन्होंने इसे सदन का अपमान बताते हुए किसी भी कैबिनेट मंत्री के आने तक कार्यवाही को रोकने की मांग की।
इस पर सभापति ने एक जूनियर मंत्री को निर्देशित किया कि कैबिनेट मंत्री की उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। साथ ही लगभग पांच मिनट तक राधाकृष्णन ने मंत्री के आने की प्रतीक्षा की और फिर दस मिनट के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया। 11.15 बजे पहुंचे संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू इस परिस्थिति के लिए खेद जताया।
साथ ही स्पष्ट किया कि दिवंगत शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि और लोकसभा की कार्यवाही के स्थगन के संबंध में वह वहां उपस्थित थे। वहीं, जेपी नड्डा को लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देना था, इसलिए वे भी वहीं थे। हालांकि, इसके बाद कांग्रेस के सदन में उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि शिवराज पाटिल राज्य सभा के भी सदस्य रहे, इसलिए इस सदन में भी श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। इसे स्वीकार करते हुए शून्य काल के तुरंत बाद शिवराज पाटिल को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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