भारत और चीन के रिश्तों में हाल ही में आई नरमी के बीच भारत ने चीनी प्रोफेशनल्स के लिए बिजनेस वीज़ा जारी करने की प्रक्रिया तेज करने का फैसला किया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो सरकारी अधिकारियों ने बताया कि अब प्रशासनिक जांच कम कर दी गई है ताकि चीनी कंपनियों को एक महीने के भीतर बिजनेस वीज़ा मिल सके। अधिकारियों ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि नई दिल्ली ने वीज़ा प्रक्रिया में मौजूद अतिरिक्त जांच की परत को हटा दिया है, जिससे मंजूरी देने का समय काफी कम हो गया है। एक अधिकारी ने कहा, “हमने प्रशासनिक जांच की एक लेयर हटाई है और अब बिजनेस वीज़ा चार हफ्तों से भी कम समय में प्रोसेस किए जा रहे हैं।”
चीनी नागरिकों को अब जल्द मिलेगा वीजा
चीन ने भारत के इस फैसले का स्वागत किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ओर से लोगों के बीच संपर्क बेहतर करने के लिए एक “सकारात्मक कदम” देखा गया है। मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन भारत के साथ संवाद और आपसी परामर्श जारी रखने के लिए तैयार है। दोनों देशों के संबंध 2020 में तब बिगड़ गए थे जब पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव बढ़ गया था। इसके बाद से वीज़ा नियमों में भी सख़्ती कर दी गई थी। ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, वीज़ा जांच में हुई देरी और सख़्ती की वजह से इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को लगभग 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। कंपनियाँ ज़रूरी चीनी तकनीशियनों को भारत लाने में दिक्कतों का सामना कर रही थीं, जिससे मशीनरी इंस्टालेशन और प्रोडक्शन पर बड़ा असर पड़ा।
भारत ने आसान किया नियम
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि शाओमी जैसी बड़ी कंपनियों को वीज़ा मिलने में काफी देरी का सामना करना पड़ा। इसका असर उनके एक्सपेंशन प्लान पर पड़ा और सोलर मैन्युफैक्चरिंग जैसी इंडस्ट्री भी प्रभावित हुई। विदेशी टेक्निकल स्टाफ के समय पर भारत न पहुंच पाने से कई प्रोजेक्ट अटक गए थे। हालांकि, लगातार चल रही कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के बाद भारत और चीन के रिश्ते धीरे-धीरे सुधरने लगे। 2024 में पेट्रोलिंग अरेंजमेंट पर हुए समझौते ने इस सुधार को और तेज़ किया। इसका बड़ा नतीजा यह रहा कि दिसंबर 2024 तक देपसांग और डेमचोक जैसे विवादित क्षेत्रों से दोनों देशों की सेनाओं ने पूरी तरह पीछे हटकर अंतिम स्टैंडऑफ़ पॉइंट्स भी खाली कर दिए। इससे दोनों देशों के संबंधों में आगे बढ़ने की उम्मीद और बढ़ गई है।
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इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के बाद दोनों देशों के रिश्तों में नरमी आने लगी। यह सात साल में उनका पहला चीन दौरा था, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। इस मुलाकात के बाद कई पाबंदियों में ढील दी गई और कुछ ही समय में भारत–चीन के बीच 2020 के बाद पहली बार सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो गईं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला एक हाई-लेवल कमेटी की सिफारिशों पर लिया गया। इस कमेटी की अध्यक्षता पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा कर रहे हैं। यही कमेटी उन निवेश पाबंदियों की भी समीक्षा कर रही है, जो पिछले कुछ सालों में विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने से रोक रही थीं। इन सिफारिशों का उद्देश्य दोनों देशों के आर्थिक सहयोग को फिर से पटरी पर लाना है। |