Census 2027 : केंद्रीय कैबिनेट ने 12 दिसंबर, 2025 को 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2027 कराने को मंज़ूरी दे दी है। आज कैबिनेट से लंबे समय के बाद देश की सबसे बड़ी प्राशासनिक और स्टैटिस्टिकल एक्सरसाइज़ को मंज़ूरी मिल गई है। इस प्रक्रिया के तहत 2026 में घरों की लिस्टिंग होगी। 2027 में जनसंख्या की गिनती होगी और फेज 2 में जाति का डेटा जुटाया जाएगा।
सरकार ने कहा है कि हाउसलिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा, जिसके बाद फरवरी 2027 में पॉपुलेशन एन्यूमरेशन (PE) होगा। लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले, नॉन-सिंक्रोनस (दुर्गम) इलाकों के लिए PE सितंबर 2026 में किया जाएगा।
यह पहली पूर्णतः डिजिटल जनगणना होगी
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सेंसस 2027 भारत की पहली पूरी तरह से डिजिटल सेंसस होगी, जिसमें Android और iOS पर मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए डेटा इकट्ठा किया जाएगा। एक खास सेंसस मैनेजमेंट और मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) रियल टाइम में ऑपरेशन को ट्रैक करेगा, जबकि एक हाउसलिस्टिंग ब्लॉक (HLB) क्रिएटर वेब-मैप टूल फील्ड सुपरविज़न में मदद करेगा। आम लोगों के पास खुद से गिनती करने का ऑप्शन भी होगा।
फेज़ 2 में जुटाए जाएंगे जातिगत आंकड़े
कैबिनेट कमिटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने 30 अप्रैल, 2025 को जातिगत की गणना को शामिल करने का फैसला किया था। इसके अनुसार, दूसरे फेज़ में जनगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक तरीके जाति का डेटा जुटाया जाएगा।
इस जनगणना के लिए राज्य और ज़िला प्रशासन लगभग 30 लाख फ़ील्ड कर्मचारियों को तैनात करेंगे। इनमें गिनती करने वाले, सुपरवाइज़र, ट्रेनर और जनगणना अधिकारी शामिल होंगे। गिनती करने वाले, जो आम तौर पर सरकारी टीचर होते हैं, रेगुलर काम के साथ-साथ जनगणना का काम भी करेंगे और उन्हें मानदेय दिया जाएगा।
गिनती के अलावा, इस काम में लगभग 18,600 टेक्निकल जानकारी रखने वाले लोग लगभग 550 दिनों तक काम करेंगे। इससे लगभग 1.02 करोड़ दिन का रोज़गार मिलेगा। अधिकारियों ने कहा कि डिजिटल फोकस से डेटा हैंडलिंग और मॉनिटरिंग की स्किल बढ़ने की उम्मीद है।
जनगणना 2027 देश की 16वीं जनगणना होगी और आज़ादी के बाद 8वीं जनगणना होगी। यह जनगणना, जनगणना एक्ट, 1948 और जनगणना नियम, 1990 के तहत की जाएगी।
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