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काले जैकेट में फर्जी आईएएस। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फर्जी आइएएस ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार सिंह की गिरफ्तारी के बाद सामने आई नई जानकारी ने जालसाजी के नेटवर्क को सामने ला लिया है।जांच में पता चला कि गौरव इतना दुस्साहसी था कि बिहार के भागलपुर में निरीक्षण करते समय उसने असली एसडीएम से विवाद के दौरान उन्हें थप्पड़ तक मार दिए थे। एसडीएम ने शर्मिंदगी के चलते शिकायत नहीं की। गौरव ने यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड में अपने ठगी के नेटवर्क को फैलाया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सीतामढ़ी (बिहार) के रहने वाले गौरव कुमार के पास लाल-नीली बत्ती वाली इनोवा थी। उसके साथ 10-15 लोगों की टीम चलती थी, जो सुरक्षा गार्ड, स्टेनो और प्रोटोकाल स्टाफ की भूमिका निभाते थे। ग्रामीण इलाकों और सरकारी दफ्तरों में ये लोग ऐसा माहौल बनाते थे कि किसी को भी संदेह नहीं होता कि यह व्यक्ति असली अधिकारी नहीं। सबसे चौंकाने वाली जानकारी भागलपुर (बिहार) से सामने आई है।
जांच अधिकारियों ने बताया कि गौरव खुद को जिले का निरीक्षण करने वाला उच्च अधिकारी बताकर घूम रहा था। जब स्थानीय एसडीएम से सामना हुआ और उन्होंने गौरव से बैच, रैंक और पोस्टिंग का विवरण पूछा, तो गौरव ने बहस के दौरान उन्हें दो थप्पड़ मार दिए। एसडीएम ने इस घटना को शर्मिंदगी मानकर चुप्पी साध ली और पुलिस में शिकायत नहीं की। यही चुप्पी गौरव के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच बन गई।
उसने सोचा जब असली एसडीएम कुछ नहीं कर पाया, तो बाकी कौन क्या कर लेगा? यही मानसिकता लेकर वह चार राज्यों में बेखौफ घूमता रहा। गौरव और उसका साला अभिषेक कुमार, साफ्टवेयर व एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर मिनटों में फर्जी सरकारी दस्तावेज तैयार करते थे। वे गृह मंत्रालय का लेटर पैड, टेंडर स्वीकृति पत्र, नियुक्ति अनुमोदन, विभागीय ईमेल, अखबारों की फर्जी कतरन, निरीक्षण रिपोर्ट एआइ से जनरेट कर लेते थे।
गृह मंत्रालय के नाम पर छपा लेटर पैड अब पुलिस के पास एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है। जांच टीमें यह पता लगा रही हैं कि गौरव ने इस लेटर पैड का उपयोग किन-किन विभागों और अधिकारियों के सामने अपनी पहचान मजबूत करने के लिए किया। अभिषेक के दोस्त परमानंद गुप्ता के जुड़ने से नेटवर्क यूपी में काफी मजबूत हुआ।
परमानंद स्थानीय व्यापारियों और संपर्कों तक गौरव को पहुंचाता था और बदले में कमीशन लेता था।मोकामा (बिहार) के ठेकेदार मुकुंद माधव ने गौरव को पांच करोड़ रुपये दिए थे।जब ठेका नहीं मिला और संदेह बढ़ा, तो मुकुंद लगातार पैसे वापस करने का दबाव बनाने लगा।डर के चलते गौरव लखनऊ से निकलकर गोरखपुर आया और गुलरिहा थाना क्षेत्र में किराए के मकान में छह माह तक छिपा रहा।
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घर के बाहर उसने बोर्ड लगा रखा था आइएएस गौरव कुमार, भारत सरकार।पड़ोसी रामप्रीत, आकाश और सरोजनी यादव ने बताया कि घर पर अक्सर चार–पांच गाड़ियां रहती थीं,गार्ड असम और कोलकाता के थे और गौरव की चाल-ढाल बिल्कुल बड़े अधिकारी जैसी थी।मोहल्ले में उसका रौब इतना था कि किसी को कभी शक नहीं हुआ।
पुलिस ने बढ़ाया जांच का दायरा :
चार राज्यों में फर्जी आइएएस का नेटवर्क फैले होने की जानकारी के बाद पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है।गौरव कुमार के संपर्क के साथ ही डिजिटल ट्रेल की जानकारी जुटाई जा रही है
यहां के रहने वाले हैं आरोपित :
मुख्य आरोपित ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार बिहार के सीतामढ़ी जिले के मेहसौल गांव का निवासी है। उसका साला अभिषेक कुमार, भी सीतामढ़ी के रीगा थाना क्षेत्र के रामनगरा गांव में रहता है। तीसरा आरोपित परमानंद गुप्ता गोरखपुर के लच्छीपुर का रहने वाला है। पुलिस का कहना है कि यही तीनों मिलकर फर्जी आइएएस गैंग चला रहे थे।
गौरव उर्फ़ ललित बड़े नेटवर्क में काम करता था। कई दस्तावेज़ और फोन डेटा में नए तथ्य मिले हैं। उसकी जालसाजी की पूरी परतें खोलने के लिए बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश पुलिस से संपर्क किया गया है। जल्द ही गिरोह के अन्य सदस्य गिरफ्त में होंगे। -
- अभिनव त्यागी, एसपी सिटी |
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