सांकेतिक तस्वीर
राज्य ब्यूरो, रांची। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की 2024-25 के वित्त लेखे पर सदन में रखी गई रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2000-01 से 2024-25 के दौरान कुल 17,877 संक्षिप्त आकस्मिक विपत्रों का समायोजन नहीं हुआ।
इसमें कुल 4,531 करोड़ रुपये निहित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अग्रिम राशि का समय पर लेखाबद्ध नहीं किया जाना अपव्यय तथा भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 19 विभागों द्वारा प्रदान किए गए सहायक अनुदान के विरुद्ध 29,303.59 करोड़ रुपये की राशि का बकाया 5574 उपयोगिता प्रमाणपत्रों को राज्य के निकायों एवं प्राधिकरणों द्वारा नहीं दिया गया था।
इसमें वर्ष 2023-24 के दौरान सहायक अनुदान बिल के माध्यम से एसएनए को हस्तांतरित 10,532.14 करोड़ की राशि सम्मिलित है, जिसके व्यय के सहायक दस्तावेज प्रधान महालेखाकर के कार्यालय को नहीं मिले।
ऐसे में इस बात का कोई आश्वासन नहीं है कि 29,303.59 करोड़ की राशि का उपयोग विधानसभा द्वारा स्वीकृत या अधिकृत उद्देश्यों के लिए ही किया गया।
इसके अलावा 47,281 उपयोगिता प्रमाणपत्रों से संबंधित 1,31,262.21 करोड़ की राशि वर्ष 2023-24 तक प्रस्तुति के लिए 31 मार्च 2025 तक बकाया था। इस प्रकार मार्च 2025 तक 1,60,565.80 करोड़ की राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र बकाया था।
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