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सुरक्षा और व्यवस्था में अहम रोल, फिर भी PRD के जवानों की जिंदगी बोझिल व उपेक्षित, एक डंडा-वर्दी तक पहचान सिमटी

Chikheang 2025-10-6 02:36:25 views 629

  प्रतापगढ़ में पीआरडी जवानों को सुविधाओं का अभाव होने से गुजारा मुश्किल हो रहा है। प्रतीकात्मक फोटो





संसू, जागरण, प्रतापगढ़। पीआरडी यानी प्रांतीय रक्षक दल के जवान खाकी पहनकर हर दिन यातायात व्यवस्था संभालते हैं। कोतवाली और थानों में पहरा देते हैं। यानी व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी इनपर है। आरोपितों को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में मदद भी करते हैं। अधिकारियों के दफ्तर से लेकर सरकारी आवास तक सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैनात किए जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इतनी अहम जिम्मेदारी निभाने के बाद भी जब सुविधाओं की बात होती है, तो किसी को पीआरडी जवान याद नहीं आते। मूलभूत सुविधाएं न मिलना उन्हें अखर रही है। जवान विभाग को कोस रहे हैं। जिला युवा कल्याण विभाग में 886 पीआरडी यानी प्रांतीय रक्षा दल के जवान हैं। इनकी पहचान एक डंडे और वर्दी तक सीमित है।



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महीनों बीत जाते हैं मानदेय के इंतजार में। किसी तरह घर चलता है, उधार भी लेना पड़ता है। न चिकित्सा सुविधा, न ठहरने की व्यवस्था, न बराबरी का मानदेय। यहां तक कि ओवर ड्यूटी करने के बाद भी उनको कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं मिलता। खाकी वर्दी पहने, कंधे पर जिम्मेदारी का बोझ उठाए जवान अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन कोई उनकी समस्याओं पर चर्चा नहीं करता।



इन्हें कसक रहती है कि प्रशासन भी उन्हें जरूरत के वक्त याद आने वाली टीम समझता है। फिलहाल विभाग उनको रोजाना 500 रुपये के हिसाब से मानदेय देता है। इसके अलावा उनको न तो यात्रा भत्ता मिलता है और न ही मेडिकल सुविधा। यहां तक कि ड्यूटी आने जाने के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर भी उनको विभाग किसी तरह की मदद नहीं करता। मंडल में साल भर में 15 दिन की ट्रेनिंग होती है। इसमें जिले के कुछ ही जवानों को बुलाया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान उनको वर्दी, टोपी आदि दी जाती है।



प्रभारी जिला युवा कल्याण अधिकारी सुमित पाल सिंह ने बताया कि जवानों को बराबर ड्यूटी मिल रही है। साल भर में कुछ जवानों की मंडल में ट्रेनिंग कराई जाती है। वहां पर वर्दी आदि सुविधाएं उनको मिलती हैं। अलग से उन्हें कोई सुविधाएं नहीं दी जाती है। 500 रुपये के हिसाब से उनको मानदेय मिलता है।

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