देशभर में यूएपीए के लंबित मामलों की होगी समीक्षा, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के मुख्य न्यायाधीश को दिया निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के लंबित मामलों की समीक्षा को कहा (फाइल फोटो)



पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से यूएपीए और उस जैसे अन्य कानूनों के लंबित मामलों की समीक्षा करने के लिए कहा है। कहा कि ऐसे सभी मामलों की समीक्षा की जाए जिनमें आरोपित को खुद को निर्दोष साबित करने के लिए साक्ष्य देने होते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने राज्यों में कार्यरत स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वे इन मुकदमों के आरोपितों को उनके अधिकारों से अवगत कराएं।

आरोपितों को बताया जाए कि उन्हें पैरवी के लिए अधिवक्ता की सेवा लेने का अधिकार है। इससे आरोपित को न्याय मिल सकेगा, साथ ही उसके मुकदमे की न्यायालय में तेजी से सुनवाई हो सकेगी। इससे न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या कम होगी।

शीर्ष न्यायालय ने कहा, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और उस जैसे अन्य कानूनों में जिनमें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए साक्ष्य देने की जिम्मेदारी आरोपित की होती है, उन मामलों की न्यायालय में सुनवाई की गति बढ़ाई जाए।

पीठ ने यह निर्देश 2010 में बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में विस्फोट से ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस को दुर्घटनाग्रस्त करने के मामले में पकड़े गए आरोपितों की जमानत याचिका पर सुनवाई में दिया है। इस मामले में सीबीआइ ने आरोपितों की याचिका का विरोध किया था।
आदिवासी युवक की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया एसआइटी गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को आदिवासी युवक की मौत मामले में जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले से संबंधित राजनीतिक कार्यकर्ता को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट की जबलपुर पीठ ने राजनीतिक कार्यकर्ता गो¨वद ¨सह राजपूत की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ गोविंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जायमाल्या बागची की पीठ ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को आदिवासी की मौत से संबंधित हर पहलू की जांच के लिए दो दिनों के भीतर एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया।

आदिवासी युवक ने पहले राजपूत के खिलाफ एससी-एसटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में दावा किया कि उसे यह शिकायत दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की प्रज्वल रेवन्ना की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने जदएस के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। इस याचिका में बेंगलुरु की विशेष सांसद/विधायक अदालत में चल रहे दो आपराधिक मामलों की सुनवाई किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया था।

रेवन्ना ने याचिका में अनुरोध किया था कि चल रहे मामलों की सुनवाई उसी जज द्वारा नहीं की जानी चाहिए जिसने उन्हें पहले मामले में सजा सुनाई थी। गौरतलब है कि रेवन्ना को एक महिला से दुष्कर्म मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
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