गुरुग्राम, फरीदाबाद,और झज्जर में चलेंगी 500 इलेक्ट्रिक बसें, 2030 तक हरियाणा को प्रदूषण मुक्त प्रदेश बनाने का लक्ष्य

deltin33 2025-12-12 00:07:12 views 262
  

गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में चलेंगी 500 इलेक्ट्रिक बसें।



राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में 500 इलेक्ट्रिक बसें लगाई जाएंगी। करीब 1513 करोड़ रुपये में यह बसें खरीदी जाएंगी। वर्ष 2030 तक हरियाणा को प्रदूषण मुक्त प्रदेश बनाने का लक्ष्य है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए विश्व बैंक ने हरियाणा के लिए 305 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2753 करोड़ रुपये) मंजूर किए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठक में वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 2498 करोड़ रुपये के लोन का आश्वासन दिया था। परियोजना की कुल लागत 3646 करोड़ रुपये है। इसमें से 1065 करोड़ रुपये का योगदान प्रदेश सरकार द्वारा और अतिरिक्त 83 करोड़ रुपये अनुदान के रूप में दिया जाएगा।

इस परियोजना का उद्देश्य वायु गुणवत्ता में सुधार करना है, जिसकी कमान मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर ने संभाली हुई है। खुल्लर 2020 से 2023 तक भारत, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका के प्रतिनिधि के तौर पर वर्ल्ड बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम कर चुके हैं।

परियोजना में परिवहन क्षेत्र के लिए 1688 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं, जिनका लक्ष्य शहरी परिवहन उत्सर्जन में तेजी से कमी लाना है। इसके अतिरिक्त 10 करोड़ रुपये उच्च प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध रूप से हटाने एवं स्क्रैपिंग इकोसिस्टम के लिए, 20 करोड़ रुपये 200 ईवी चार्जिंग स्टेशन, 100 करोड़ रुपये इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर इंसेंटिव और 45 करोड़ रुपये पुराने थ्री-व्हीलर्स को ईवी में बदलने हेतु खर्च किए जाएंगे।
पीएनजी में बदले जाएंगे बॉयलर

उद्योग और वाणिज्य विभाग द्वारा 563 करोड़ रुपये स्वच्छ औद्योगिक संचालन, रियल-टाइम उत्सर्जन नियंत्रण एवं अनुपालन सुधार पर खर्च किए जाएंगे। इसमें 100 करोड़ रुपये औद्योगिक बॉयलर को पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) में शिफ्ट करने, 330 करोड़ रुपये उत्सर्जन विकल्पों को बढ़ावा देकर डीजल जनरेटर सेट के प्रतिस्थापन हेतु तथा 33 करोड़ रुपये प्रमुख औद्योगिक इकाइयों में सतत उत्सर्जन निगरानी प्रणाली लगाने के लिए हैं।
कृषि क्षेत्र में खर्च होंगे 746 करोड़

कृषि क्षेत्र में 746 करोड़ रुपये कृषि एवं विकास तथा पंचायत विभागों के माध्यम से व्यय किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक पराली जलाने को समाप्त करने के लिए 280 करोड़ रुपये, बायो-डीकंपोजर तकनीकों पर अनुसंधान हेतु 52 करोड़ रुपये, कृषि विभाग में एक सेकेंडरी एमिशन मानिटरिंग सेंटर की स्थापना के लिए 151 करोड़ रुपये तथा पशु अपशिष्ट से होने वाले उत्सर्जन में कमी लाने हेतु स्वच्छ खाद प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लिए 263 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मिलेंगे 564 करोड़ रुपये

हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 564 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। इसमें राज्य वायु गुणवत्ता प्रयोगशालाओं के उन्नयन एवं 12 मिनी-लैब की स्थापना हेतु 107 करोड़ रुपये, 10 निरंतर परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्टेशनों की तैनाती के लिए 73 करोड़ रुपये, दो मोबाइल वायु गुणवत्ता मानिटरिंग वैन के लिए 28 करोड़ रुपये, उपग्रह आधारित निगरानी के एकीकरण के लिए छह करोड़ रुपये और राज्य उत्सर्जन सूची तैयार करने के लिए छह करोड़ रुपये शामिल हैं। शहरी स्थानीय निकायों द्वारा 85 करोड़ रुपये शहरों में धूल प्रदूषण से निपटने के लिए खर्च किए जाएंगे।
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