बंगाल सीमा की सुरक्षा की कमान संभाल रहे जम्मू के सपूत आईजी भूपेन्द्र सिंह, जानिए कैसा रहा है उनका 34 वर्ष का कार्यकाल

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भूपेन्द्र सिंह के सैनिक स्कूल नगरोटा से सहपाठी एसएसपी सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि यह स्कूल व जम्मू के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।



राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू के सपूत व सीमा सुरक्षा बल के आईजी भूपेन्द्र सिंह ने बंगाल फ्रंटियर की सुरक्षा की कमान संभाल कर प्रदेश के साथ सैनिक स्कूल नगरोटा का नाम भी रोशन कर दिया है। सीमा पर पले बड़े भूपेंद्र सिंह ने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जम्मू के सीमांत छंब ज्योड़ियां के रहने वाले भूपेन्द्र सिंह ने गत दिनों पदोन्नत होने के बाद सीमा सुरक्षा बल बंगाल फ्रंटियर के नए आईजी के रूप में जिम्मेदारी संभाली है। जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा का अनुभव रखने वाले आईजी भूपेन्द्र सिंह, यूएन मिशन, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, समेत सीमा सुरक्षा बल के कई सेक्टरों में भीतरी सुरक्षा, सीमा प्रबंधन व संवेदनशील अभियानों का हिस्सा रहे हैं।
सांबा अंतरराष्ट्री सीमा की जिम्मेदारी भी संभाल चूके हैं भूपेन्द्र

गुजरात में सीमा सुरक्षा बल के डीआईजी के पद तैनात होने से पहले उन्होंनें जम्मू संभाग के सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सीमा सुरक्षा बल की एक बटालियन की भी कमान की है।

सीमा सुरक्षा बल के वर्ष 1990 बैच के अधिकारी भूपेन्द्र सिंह ने अपने करियर की शुरुआत असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में की थी। अपने 34 वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालीं हैं। उनके बंगाल के आइजी का पद्भार संभालते हुए सीमा सुरक्षा बल ने बांग्लादेश सीमा से एक तस्कर को गिरफ्तार कर उसके पास से तीन करोड़ रूपये से अधिक के सोने के बिस्किट बरामद किए हैं।
सीमांत छंब ज्योड़ियां में पाकिस्तान की गोलाबारी के साए में पले

सीमांत छंब ज्योड़ियां में पाकिस्तान की गोलाबारी के साए में पले भूपेन्द्र सिंह गांव में शिक्षा हासिल करने के बाद वर्ष 1979 में सैनिक स्कूल नगरोटा में छठी कक्षा में दाखिल हुए थे। उनके सैनिक स्कूल नगरोटा के सहपाठी एसएसपी सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि यह स्कूल व जम्मू के लिए एक बड़ी उपलब्धि है कि क्षेत्र का सपूत इस समय बंगाल फ्रंटियर के आईजी की अहम जिम्मेदारी संभाल रहा है।

आईजी भूपेन्द्र सिंह का कहना है कि वह अपनी सफलता का श्रेय माता पिता व सैनिक स्कूल नगरोटा का देते हैं। उनका कहना है कि सीमा पर स्थित गांव से सैनिक स्कूल नगरोटा पहुंचने के बाद ही वर्दी डाल कर देश सेवा करने के सपने को आकार मिला।
पिता ने सैनिक स्कूल नगरोटा में दाखिले के लिए किया था तैयार

उनका कहना है कि पिता चौधरी सेवा सिंह ने मुझे सैनिक स्कूल नगरोटा में दाखिल होने की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार किया था। गांव के बच्चे के लिए सैनिक स्कूल के माहौल में एडजस्ट करना आसान नही था। सैनिक स्कूल में मैने बहुत कुछ सीखा व मेहनत से एक एक सीढ़ी चढ़ता गया।

नई जिम्मेदारी के बारे में उनका कहना है कि बंगाल फ्रंटियर भारत–बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा का अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। उनकी प्राथमिकताओं में सीमा सुरक्षा को और मजबूत करना, तस्करी, व अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के साथ जवानों का मनोबल को बढ़ाना होंगी।
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