अमिताभ ठाकुर के जेल जाने के मामले में नया मोड़, फर्जीवाड़े में तत्कालीन उद्योग विभाग के अधिकारियों पर भी गिर सकती है गाज

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मेडिकल कॉलेज देवरिया से स्वास्थ्य परीक्षण के बाद बाहर निकलते पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर। जागरण



विधि संवाददाता, देवरिया। फर्जी ढंग से आइपीएस अमिताभ ठाकुर के जमीन अपनी पत्नी के नाम लिखाने व बिक्री के मामले में जिला उद्योग बंधु की बैठक में जिन अधिकारियों ने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया था। उन पर भी एसआइटी की गाज गिरने की पूरी संभावना है। मामले के विवेचक सोबरन सिंह ने अदालत को बताया कि अभी और आरोपितों के नाम उजागर करना बाकी है। इसलिए विवेचना 24 घंटे के अंदर पूरी नहीं हो पाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विवेचना के लिए कुछ और समय दिया जाना जरूरी है, जिससे दूध का दूध व पानी का पानी हो सके। ऐसी स्थिति में यदि आरोपित को छोड़ा गया तो वह साक्ष्य से छेड़छाड़ ही नहीं करेगा, बल्कि गवाहों को धमका भी देगा।

पुलिस रिमांड के विरोध में आरोपित ने कुछ नहीं कहा
न्यायालय में पुलिस अभिरक्षा में लाये लाए आरोपित से जब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने यह पूछा कि वह अपने बचाव में क्या कहना चाहता है ? क्या उसे रिमांड के विरोध में कुछ कहना है तो उसने कहा लार्ड शिप अभी मैं कुछ नहीं कह सकता। मुझे मालूम है कि दफाएं बड़ी हैं जेल भेज दिया जाए लेकिन मेरी सुरक्षा का पूरा इंतजाम कर दिया जाए।

अभिताभ ठाकुर पर पद के दुरुपयोग का आरोप
पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को राज्यपाल के निर्देश पर सेवा अवधि पूर्ण होने से पूर्व सेवानिवृत्त किया गया था। वह 29 मार्च 1998 से नौ मार्च 2000 तक देवरिया में पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। भूखंड आवंटन का मामला उसी समय का है।

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तथ्य एक नजर में

  • 26 मार्च 1999 को नूतन पत्नी अभिताप ठाकुर के नाम से दो पृष्ठों का शपथ पत्र प्रस्तुत किया था।
  • 24 मार्च 1999 को नूतन देवी पत्नी अभिजात ठाकुर नाम से स्टेट बैंक आफ इंडिया में ट्रेजरी चालान जमा किया था।
  • 27 मार्च 1999 की ट्रांसफर एग्रीमेंट डीड पर नूतन देवी पत्नी अभिताप ठाकुर नाम से हस्ताक्षर किए।
  • 28 जनवरी 1999 को महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र को प्लाट आवंटन के लिए पूर्व आइपीएस की पत्नी नूतन ठाकुर ने आवेदनपत्र प्रस्तुत किया था। 31758.80 रुपये का ट्रेजरी चालान प्रस्तुत किया था।
  • 28 मार्च 1999 को उस भूखंड के पूर्व आवंटी के साथ महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र की उपस्थिति में ट्रांसफर डीड करवाया गया।
  • उद्योग स्थापित करने में खुद को असमर्थ पाते हुए नूतन ठाकुर ने वास्तविक नाम से भूखंड बेचने के लिए 08 जनवरी 2002 को आवेदन पत्र दिया।
  • 13 जून 2002 को भूखंड संजय सिंह के नाम भूखंड आवंटित किया गया था।
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