गुजरात में 104 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात में 104 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सूरत सब-जोनल ऑफिस ने बुधवार को अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के तहत एक अभियोजन शिकायत दायर की। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
आरोपियों की पहचान मकबूल अब्दुल रहमान, काशिफ मकबूल, महेश मफतलाल देसाई, ओम राजेंद्र पंड्या के रूप में हुई है, जिन्हें ED ने अक्टूबर में गिरफ्तार किया था। इस बीच, फ्रॉड मामलों का मुख्य साजिशकर्ता, बस्साम मकबूल, फिलहाल फरार है। जांच एजेंसी के अनुसार, बस्साम एक अरब देश भाग गया है।
आरोपियों ने कथित तौर पर पूरे भारत में कई साइबर फ्रॉड योजनाओं का इस्तेमाल करके पीड़ितों को धोखा दिया और पैसे को लॉन्डर किया।
आरोपियों ने लोगों को कैसे धोखा दिया
ED के अनुसार, मुख्य आरोपी मकबूल, उसके बेटे काशिफ और बस्साम मकबूल ने अपने साथियों के साथ मिलकर कई घोटाले किए।
- नकली फॉरेक्स और स्टॉक मार्केट निवेश सलाह
- ED, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), और यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट जैसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों का रूप धारण करके धोखाधड़ी को अंजाम देना।
- वीडियो कॉल करके डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड
- जाली कानूनी नोटिस और जुर्माना जारी करके जबरन वसूली
इसके बाद अवैध पैसा रिश्तेदारों और किराए पर लिए गए लोगों के नो योर कस्टमर (KYC) दस्तावेजों का उपयोग करके बनाए गए बैंक खातों में जमा किया गया। इन खातों को चलाने के लिए पहले से एक्टिवेटेड सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था। पैसे को कई लेन-देन के माध्यम से लेयर किया गया, नकद में निकाला गया, और नियामक जांच से बचने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स डॉलर टेथर (USDT) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदलने से पहले हवाला चैनलों के माध्यम से ट्रांसफर किया गया।
जांच एजेंसियों को पता चला कि एक शानदार लाइफ स्टाइल को फाइनेंस करने के लिए ऑनलाइन भी बड़ी रकम खर्च की गई थी। ED ने नवंबर में 2.13 करोड़ रुपये की तीन अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया था।
शिकायत में पांचवें आरोपी, मितेश गोकुलभाई ठक्कर पर भी वित्तीय लेयरिंग और फंड ट्रांसफर में उसकी भूमिका के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है। मामले की आगे की जांच फिलहाल जारी है। |