जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। भारत में अनियंत्रित टाइप-टू डायबिटीज तेजी से राष्ट्रीय संकट बनती जा रही है। देश में करोड़ों लोग दवाइयों के साथ खतरनाक स्तर की डायबिटीज के साथ जीवन बिताने को अभिशप्त हैं, जिससे किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, पैर काटने (एम्प्यूटेशन), स्ट्रोक और अंधेपन का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डाॅ. मंजूनाथ बताते हैं कि अनियंत्रित डायबिटीज शरीर के लगभग हर महत्वपूर्ण अंग को नुकसान पहुंचाती है। डायबिटीज सिर्फ शुगर की बीमारी नहीं है, अनियंत्रित होने पर यह किडनी फेलियर जैसी जटिलता पैदा कर देती है, किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस तक की आवश्यकता पड़ सकती है।
इसके कारण ब्लड वेसल्स को नुकसान होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे मरीजों के लिए समय पर सहायक उपचार बहुत आवश्यक है। डाॅ. मंजूनाथ बुधवार को एम्स में प्रेसवार्ता के दौरान चेतावनी दी कि इस बीमारी को हल्के में लेना बड़ी भूल हो सकती है।
एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डाॅ. मंजूनाथ बताते हैं कि बीमारी की गंभीरता को देखते हुए इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) ने मेटाबाॅलिक सर्जरी को अनियंत्रित टाइप-टू डायबिटीज के लिए वैज्ञानिक रूप से सिद्ध और सुरक्षित उपचार के रूप में मान्यता दी। पहले यह केवल मोटापे से जुड़ा माना जाता था, लेकिन अब यह सिद्ध हो चुका है कि सर्जरी का असर वजन से नहीं, बल्कि मेटाबालिक और हार्मोनल बदलावों से होता है।
उन्होंने बताया कि भारत में किए गए एक अध्ययन में 30 से अधिक मरीजों पर यह सर्जरी की गई, जिनमें कई मोटे भी नहीं थे। हर मरीज सर्जरी के बाद डायबिटीज की दवाओं से मुक्त हो गया। विशेष यह कि इन सभी की शुगर सर्जरी के अगले ही दिन लगभग सामान्य स्तर पर पहुंच गई। दावा किया कि यह वजन घटने से संभव नहीं है, बल्कि सर्जरी द्वारा उत्पन्न गहरे मेटाबाॅलिक प्रभावों का परिणाम है।
डाॅ. मंजूनाथ ने बताया कि देश में बढ़ते डायबिटीज संकट के बीच, मेटाबाॅलिक सर्जरी लाखों लोगों के लिए जीवन बदलने वाला विकल्प साबित हो सकती है। समय पर जानकारी, सही उपचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अनगिनत जिंदगियां बचा सकता है। |