वाडिया संस्थान में तीन दिवसीय छठी ल्यूमिनेसेंस डेटिंग एंड इट्स एप्लिकेशन विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, देहरादून। राजधानी दून, सहारनपुर और रुड़की क्षेत्र में मध्य हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) एक ऐसा फॉल्ट है, जो न सिर्फ हिमालय की सबसे युवा टेक्टोनिक (विवर्तनिक) प्रणाली का हिस्सा है, बल्कि बेहद सक्रिय भी है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में तीन दिवसीय छठी \“ल्यूमिनेसेंस डेटिंग एंड इट्स एप्लिकेशन\“ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के पहले दिन शोधार्थियों को इस फाल्ट का दौरा कराया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
फील्ड सर्वे के संयोजक वरिष्ठ विज्ञानी डा. परमजीत सिंह ने शोधार्थियों को बताया कि यहीं पर भारतीय प्लेट उत्तर की ओर खिसकते हुए हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों को इंडो-गंगा मैदान पर धकेलती है। यही रेखा तय करती है कि हिमालय का पर्वतीय भाग कहां खत्म होता है और मैदान कहां शुरू होते हैं। डा. परमजीत ने कहा कि यहीं पर एचएफटी मैदानों के बहुत करीब साफ नजर आती है। क्योंकि, यहां पर पहाड़ियां अचानक उठीं हुईं नजर आती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि यह फॉल्ट अत्यंत सक्रिय है और उत्तर भारत के अधिकतर बड़े भूकंप इसी सिस्टम से जुड़ रहे हैं। यह फॉल्ट आठ मैग्नीट्यूट या इससे अधिक क्षमता का भूकंप पैदा कर सकता है। लंबे समय से भूकंप न आने के कारण मोहंड-देहरादून-हरिद्वार बेल्ट में भूकंपीय ऊर्जा जमा होने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा शोधार्थियों को डाटकाली क्षेत्र की पहाड़ियों की प्राकृति और डेटिंग के तरीके भी समझाए गए। फील्ड सर्वे में डा. के लुएरी, डा. महेश, डा. अनिल समेत देशभर के विभिन्न विज्ञानी और शिक्षण संस्थानों के 70 के करीब शोधार्थी शामिल रहे।
15 से 20 लाख साल पुराना है मोहंड फॉल्ट
हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट को मोहंड फॉल्टनाम से भी जाना जाता है। यह 15 से 20 लाख साल पुराना है। यह उस दौर में अस्तित्व में आया, जब हिमालय ने दक्षिण की ओर बढ़ना शुरू किया। हालांकि, इसका सक्रिय विकास 50 हजार से 10 हजार सालों में मध्य तेज हुआ। 10 से 12 हजार साल में यहां कई बड़े भूकंप का इतिहास भी मिलता है।
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