छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के केस होंगे वापस, सीएम साय की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसले पर लगी मुहर

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आत्मसमर्पित नक्सलियों के केस होंगे वापस



डिजिटल डेस्क, रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां सिविल लाइन्स स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आयोजित कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन फैसलों में आत्मसमर्पित नक्सलियों के आपराधिक प्रकरणों की वापसी की प्रक्रिया का अनुमोदन और नागरिकों के अनुकूल कानूनों में संशोधन के लिए एक विधेयक के प्रारूप को स्वीकृति देना शामिल है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आत्मसमर्पित नक्सलियों के आपराधिक प्रकरणों की वापसी
मंत्रिपरिषद ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के विरुद्ध पंजीबद्ध आपराधिक प्रकरणों के निराकरण/वापसी संबंधी प्रक्रिया को अनुमोदित किया है। यह निर्णय छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 के प्रावधानों के अनुरूप है। इस नीति के तहत आत्मसमर्पित नक्सलियों के अच्छे आचरण और नक्सलवाद उन्मूलन में उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए उनके विरुद्ध दर्ज प्रकरणों के निराकरण पर विचार किया जाएगा।

इस प्रक्रिया को क्रियान्वित करने के लिए, दर्ज प्रकरणों की समीक्षा और परीक्षण हेतु मंत्रिपरिषद उप समिति के गठन को भी स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा, प्रकरणों की वापसी के लिए रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को प्रस्तुत करने हेतु जिला स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है। पुलिस मुख्यालय से अभिमत सहित प्रस्ताव प्राप्त होने पर, शासन द्वारा विधि विभाग का अभिमत लिया जाएगा और फिर मामलों को मंत्रिपरिषद उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। उपसमिति द्वारा अनुशंसित प्रकरणों को अंतिम अनुमोदन हेतु मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा जाएगा। केंद्रीय अधिनियम या केंद्र सरकार से संबंधित प्रकरणों के लिए भारत सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त की जाएगी, जबकि अन्य प्रकरणों को न्यायालय में लोक अभियोजन अधिकारी के माध्यम से वापसी की प्रक्रिया हेतु जिला दंडाधिकारी को प्रेषित किया जाएगा।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए जन विश्वास विधेयक का द्वितीय संस्करण
मंत्रिपरिषद द्वारा राज्य के विभिन्न कानूनों को समयानुकूल और नागरिकों के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) (द्वितीय) विधेयक, 2025 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया। इस विधेयक के माध्यम से 14 अधिनियमों में संशोधन किया जाएगा।

वर्तमान में कई अधिनियमों में उल्लंघन पर जुर्माना या कारावास का प्रावधान होने से न्यायिक प्रक्रिया लंबी हो जाती है, जिससे आम नागरिक और व्यवसाय अनावश्यक रूप से प्रभावित होते हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने के लिए, इस विधेयक में 11 विभागों के 14 अधिनियमों के 116 प्रावधानों को सरल और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।

विधेयक में छोटे उल्लंघनों के लिए प्रशासकीय शास्ति (Administrative Penalty) का प्रावधान रखा गया है, जिससे मामलों का त्वरित निपटारा होगा, न्यायालयों का बोझ कम होगा, और नागरिकों को तेजी से राहत मिल सकेगी। यह विधेयक कई अधिनियमों में लंबे समय से अपरिवर्तित दंड राशि की कमी को भी दूर करेगा। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां जन विश्वास विधेयक का द्वितीय संस्करण लाया जा रहा है।

प्रथम अनुपूरक अनुमान को मंजूरी
कैबिनेट की बैठक में प्रथम अनुपूरक अनुमान वर्ष 2025-2026 का विधानसभा में उपस्थापन बावत् छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2025 का भी अनुमोदन किया गया।
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