गोरखपुर एम्स। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बीटीसी छात्रा के चेहरे में मायोसिस्टिसर्कोइसिस मिला। गंदगी वाले स्थानों पर उपजे खाद्य पदार्थों के बिना पर्याप्त सफाई इस्तेमाल करने के कारण यह कीड़ा अमूमन दिमाग में मिलता है। एम्स के दंत रोग विशेषज्ञ डा. शैलेश कुमार ने जांच के बाद चेहरे के दाईं तरफ मांसपेशियों में कीड़ा पाया। अपने तरह के दुर्लभ मामले का आपरेशन कर युवती को राहत दी। खास बात यह है कि युवती की कम उम्र और भविष्य में विवाह में किसी तरह की समस्या न आने को देखते हुए आपरेशन गले के अंदरूनी हिस्से से किया गया। यानी युवती के चेहरे पर कोई चीरफाड़ नहीं की गई। अब युवती तेजी से स्वस्थ हो रही है। एम्स का दंत रोग विभाग अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में इसके प्रकाशन की तैयारी में जुट गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
देवरिया निवासी 23 वर्षीय युवती बीटीसी की पढ़ाई कर रही है। उसके पिता किसान हैं। युवती दो वर्ष से चेहरे पर सूजन, दर्द, मुंह न खुलने की समस्या से परेशान थी। स्वजन ने देवरिया, गोरखपुर और लखनऊ के कई अस्पतालों में डाक्टरों से परामर्श लिया लेकिन समस्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ती गई। डाक्टर संक्रमण मानकर लगातार एंटीबायोटिक दवाएं चलाते रहे।
रोग की सही जानकारी न होने के कारण समस्या का निवारण नहीं हो पा रहा था। किसी की सलाह पर युवती को लेकर स्वजन एम्स के दंत रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर व ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन डा. शैलेश कुमार से मिले। डा. शैलेश कुमार ने जांच कराई तो पता चला कि चेहरे की मांसपेशियों में एक प्रकार के परजीवी के लार्वा का संक्रमण है। इसे मायोसिस्टिसर्कोइसिस कहा जाता है।
यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ होती है। चेहरे में यह अतिदुर्लभ है। दिमाग में इसके पहुंचने से झटके आने लगते हैं। यदि आंख में संक्रमण हुआ तो रोशनी जाने लगती है। इसकी शुरुआत हल्के संक्रमण के साथ होती है इसलिए इसका पता लगाना मुश्किल होता है।
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मुंह के अंदर से किया ऑपरेशन
डा. शैलेश कुमार ने कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता को पूरी जानकारी दी। इसके बाद आपरेशन का निर्णय लिया गया। एनेस्थीसिया विभाग ने युवती को पूर्ण बेहोशी में पहुंचाया। डा. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने आपरेशन किया। अमूमन ऐसे आपरेशन में चेहरे के बाहर से चीरा लगाया जाता है लेकिन युवती के चेहरे पर बिना किसी चीरे के मुंह के अंदर से आपरेशन किया गया।
टीम में यह रहे शामिल
दंत विभाग के सीनियर रेजिडेंट डा. प्रवीण कुमार, जूनियर रेजिडेंट डा. सुमित, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डा. संतोष शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर डा. गणेश निमजे, एकेडेमिक जूनियर रेजिडेंट डा. रिया और नर्सिंग आफिसर पंकज देवी, दिव्या, ध्रुव, प्रतिभा। कार्यकारी निदेशक ने दंत रोग विभागाध्यक्ष डा. श्रीनिवास और पूरी टीम को बधाई दी।
मायोसिस्टिसर्कोइसिस परजीवी के अंडों के शरीर में जाने से होता है। आमतौर पर किसी संक्रमित व्यक्ति के मल से निकलता है। दूषित भोजन या पानी का सेवन करने या हाथों को ठीक से न धोने से यह हो सकता है। यदि समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाया जाता तो आपरेशन की आवश्यकता टाली जा सकती है। चेहरे में किसी भी संक्रमण को हल्के में न लें और हमेशा ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन से ही परामर्श करें। -
-डा. शैलेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जन, एम्स
पूर्वांचल और गोरखपुर एम्स में इस तरह का आपरेशन पहली बार किया गया है। पहले ऐसे मामलों में रोगी को दिल्ली या लखनऊ जाना पड़ता था। कम उम्र में सफल शल्यक्रिया से भविष्य में चेहरे की विकृति, सांस संबंधी समस्याओं और मानसिक दुष्प्रभाव से बचाव संभव हो पाया है। इस दुर्लभ केस रिपोर्ट को जल्द ही प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करने की तैयारी की जा रही है। -
मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक, एम्स |