नगर निगम खरीदेगा वाटर स्प्रिंकलर। जागरण
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहर में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत निगम करीब डेढ़ करोड़ की लागत से दो नए और आधुनिक वाटर स्प्रिंकलर खरीदने की तैयारी में है। इन स्प्रिंकलरों की फुहार से शहर के वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जाएगा। इसके अलावा चौराहों पर प्रदूषण नियंत्रण संबंधी उपकरण भी लगाए जाएंगे। इनकी सहायता से शहर में सफाई व्यवस्था और धूल नियंत्रण को अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
नगर निगम के पास वर्तमान में चार वाटर स्प्रिंकलर मशीनें पहले से मौजूद हैं, लेकिन शहर के आकार और ट्रैफिक की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए धूल प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यह संख्या अपर्याप्त मानी जा रही थी। निगम द्वारा किए जा रहे अध्ययन में पाया गया कि मुख्य सड़कों और व्यस्त व्यापारिक इलाकों में वाहनों की आवाजाही के कारण धूल हवा में तेजी से फैलती है, जिससे वायु गुणवत्ता प्रभावित होती है।
नए स्प्रिंकलर जुड़ने से उन स्थानों पर रोजाना शिड्यूल के अनुसार छिड़काव किया जाएगा, जिससे जमीन पर जमा सूक्ष्म कण नीचे बैठ सकें और प्रदूषण का स्तर कम हो। नगर निगम की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में गोरखपुर की वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा और शहरवासियों को स्वच्छ हवा का बेहतर वातावरण मिल सकेगा। इन स्प्रिंकलरों की फुहार से शहर के वायु प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जाएगा। इनकी खरीद पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
प्रदूषण नियंत्रण उपकरण से वायु गुणवत्ता में आएगा सुधार
निगम केवल स्प्रिंकलर व्यवस्था मजबूत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि शहर में प्रदूषण को वैज्ञानिक तरीके से नियंत्रित करने के लिए अन्य कदम भी उठा रहा है। राजघाट क्रिमेटोरियम के पास जल्द ही एक पाल्युशन कंट्रोल डिवाइस (प्रदूषण नियंत्रण उपकरण) लगाया जाएगा, जिससे अंतिम संस्कार के दौरान निकलने वाला धुआं आसपास के इलाकों में प्रदूषण न फैला सके।
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इसके अतिरिक्त नगर निगम शहर के प्रमुख चौराहों पर भी इसी तरह के उपकरण लगाने की योजना पर काम कर रहा है, ताकि वहां की हवा साफ रहे और राहगीरों को बेहतर वातावरण मिल सके। इन उपकरणों की मदद से धूल, धुआं और सूक्ष्म कणों को फिल्टर कर वायु गुणवत्ता में सुधार लाया जाएगा।
सर्दियों के मौसम में धूल और धुंध के कारण हवा की गुणवत्ता सामान्य से अधिक प्रभावित होती है। ऐसे में वाटर स्प्रिंकलिंग मशीनों का नियमित संचालन बेहद जरूरी है। मशीनें सड़क पर चलने से धूल बैठ जाती है और प्रदूषण स्तर में तेजी से कमी आती है। साथ ही उन्होंने नागरिकों से भी अपील की कि वे खुले में कचरा न जलाएं और प्रदूषण नियंत्रण में अपनी भूमिका निभाएं। -
-दुर्गेश मिश्रा, अपर नगर आयुक्त |